बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । कोरोना को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है और कोरोना से बचने के लिए क्या एहतियात हो सकते हैं इस पर भी मंथन शुरू हो गया है। कोविड में मौत के खतरे को कम करने का सबसे बड़ा और एकमात्र तरीका वैक्सीनेशन ही है। इस स्थिति में यह जानने का प्रयास किया गया कि वर्तमान में वैक्सीनेशन की क्या स्थिति है तो यह सामने आया कि बच्चों के वैक्सीनेशन के मामले में सेकेण्ड डोज की स्थिति अच्छी नहीं है। प्रदेश में बच्चों के लिए वैक्सीन ही उपलब्ध नहीं है। वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने से बच्चों को पहला डोज भी नहीं लग पा रहा है। यह डोज कब तक आएगा किसी के पास कोई जानकारी नहीं है। वहीं बूस्टर डोज के मामले में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। जिले का जो आंकड़ा है वो करीब 25, 26 प्रतिशत पर ही अटका हुआ है। वहीं अब जिस तरह की वैश्विक स्थिति सामने आ रही है उसे देखते हुए भारत में भी कोरोना दस्तक देता हुआ नजर आ रहा है।

- सिस्टम में आग लगने पर कुंआ खोदने की प्रवृत्ति...
हमारे सिस्टम की सबसे बड़ी खामी यह है कि जब आग लगती है तब ही हम कुआं खोदना शुरू करते है। वर्तमान में जिस तरह से चीन, दक्षिण कोरिया, जापान आदि देशों में कोरोना को लेकर स्थिति नजर आ रही है। उसे देखते हुए फिर से सिस्टम में कोरोना से बचाव और वैक्सीनेशन को लेकर ड्राईव शुरू कर देना चाहिए थी, लेकिन इस पर अभी किसी का फोकस ही नहीं है। जब एकदम से कोरोना भयानक रूप ले लेगा तब सिस्टम सक्रिय होगा और वैक्सीनेशन सहित अन्य उपायों को लेकर हायतौबा मचेगी।

- बूस्टर डोज लगाने के मामले में भी बहुत पीछे चल रहा है बैतूल जिला...             
वर्तमान में बूस्टर डोज की स्थिति को देखा जाए तो करीब ढाई लाख लोगों को ही तीसरा बूस्टर डोज लगा है। जबकि अब तक लगभग 10 लाख लोगों को यह डोज लग जाना चाहिए था। यदि आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो करीब 25 प्रतिशत लोगों को ही बूस्टर डोज लगा है। जिनमें भी अधिकांश शासकीय कर्मचारी है। 

- को-वैक्सीन उपलब्ध है कोविशील्ड उपलब्ध नहीं हो पा रही...                          
जिला टीकाकरण अधिकारी ने बताया कि टीकाकरण दिवस के दिन आंगनवाड़ी केन्द्रों पर कोविड वैक्सीन उपलब्ध रहते है, लेकिन उन्होंने यह बताया कि फिलहाल जो स्थिति है उसमें कोवैक्सीन ही उपलब्ध है कोविशील्ड उपलब्ध नहीं है। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में कोवैक्सीन वालों को बूस्टर डोज लगा दिया जा रहा है।
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