(बैतूल) आमला परियोजना में भ्रष्टाचार को लेकर मचा है बवाल पर कार्रवाई नहीं , - कमिश्नर ने दिया था सीडीपीओ को आरोप पत्र लेकिन दो माह बाद भी जांच का रिजल्ट ही नहीं
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । आमला में लंबे समय से पदस्थ सीडीपीओ चयेन्द्र बुड़ेकर पर गंभीर आरोप हैं और इन आरोपों को लेकर संभागीय कमिश्रर नर्मदापुरम ने अक्टूबर माह में कलेक्टर को अनुशात्मक कार्रवाई के लिए आरोप पत्र आदि उपलब्ध कराए थे और अनुशानात्मक कार्रवाई प्रस्तावित की थी, लेकिन अभी तक इस मामले में सीडीपीओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि सीडीपीओ चयेन्द्र कुमार बुड़ेकर पर कई तरह के गंभीर आरोप हैं। कुछ तो बहुत ज्यादा ही गंभीर प्रवृत्ति के हैं। अब यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि किन कारणों से कमिश्रर मालसिंह के आदेश प्रस्ताव के बावजूद उक्त सीडीपीओ पर दो माह में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस तरह के अधिकारियों पर कार्रवाई न होने से जिला प्रशासन की छवि पर भी गंभीर असर पड़ता है। जबकि कमिश्रर ने मप्र सिविल सेवा वर्गीकरण नियम 1966 नियम 14 के अंतर्गत चयेन्द्र कुमार बुड़ेकर के खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव दिया था।
- आखिर आरोप पत्र के बाद हुआ क्या अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया...
आमला सीडीपीओ चयेन्द्र बुड़ेकर को जो आरोप पत्र कमिश्रर के द्वारा दिया गया था उसमें आगे क्या हुआ यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया, जबकि दो महीने से ज्यादा का समय हो गया है। इसमें से एक आरोप तो स्पष्ट रूप से सिद्ध नजर आता है। यह आरोप उनके द्वारा 290 रूपये के बिल में फर्जीवाड़ा कर 11 हजार से ज्यादा का भुगतान लेने का है। अब ऐसी स्थिति में अब तक कोई कार्रवाई न होना सिस्टम पर सवाल खड़े करता है?
- सीडीपीओ बुड़ेकर के खिलाफ प्रस्तुत किए गए थे 5 तरह के आरोप पत्र...
बताया गया कि कमिश्रर द्वारा आमला के सीडीपीओ के खिलाफ पांच तरह के आरोप पत्र प्रस्तुत किए थे। जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की फर्जी नियुक्ति, आंगनवाड़ी सहायिका की नियुक्ति में गड़बड़ी, अनियमित तरीके से भुगतान प्राप्त करना, लाड़ली लक्ष्मी योजना में गड़बड़ी करना, नियमों के विपरीत जाकर सहायिका और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करना जैसे आरोप शामिल हैं।
- कमिश्रर ने सीडीपीओ को दिए थे 15 दिन में जवाब प्रस्ताव करने के अवसर...
सीडीपीओ को कलेक्टर के माध्यम से जो आरोप पत्र दिया गया उसमें 15 दिन के अंदर बचाव में लिखित रूप से कमिश्वर के समक्ष जवाब प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया था। यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि इस प्रकरण में सीडीपीओ व्यक्तिगत रूप से भी सुनवाई चाहता है क्या? बचाव में वह अगर साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहता है तो दस्तावेजों की सूची या मौखिक साक्ष्य की सूची भी प्रस्तुत करें।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 30 दिसम्बर 2022