(बैतूल) कलेक्टर से ही नहीं नियम कानून से भी ऊपर नजर आता है आमला का सीडीपीओ बुड़ेकर..? , - फर्जी अंकसूची मामले में जेल की हवा खाने वाली आंगनवाड़ी सहायिका को भी नहीं हटा रहे सीडीपीओ..!
(बैतूल) आरोपों से घिरा रहने के बावजूद भी अंगद के पैर की तरह है डटा ...
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । महिला एवम् बाल विकास परियोजना आमला में आंगनवाड़ी सहायिका की नियुक्ति और उसकी फर्जी अंकसूची सहित उस पर एफआईआर दर्ज होने का मामला होने के बावजूद उस सहायिका को अज्ञात कारणों से सीडीपीओ चयेन्द्र बुड़ेकर हटा नहीं रहे हैं ? जबकि इस मामले में उन्हें कारण बताओ नोटिस देकर जवाब तलब किया गया तो उन्होंने मामला न्यायालय में होना बताकर सहायिका को हटाने से इंकार कर दिया, जबकि उनका यह पूरा तर्क बेबुनियाद नजर आता है! जिसकी नियुक्ति ही फर्जी अंकसूची के आधार पर हुई है? उसे सबसे पहले नौकरी से पृथक किया जाना था और उसके खिलाफ एफआईआर होने के बाद भी पद से पृथक करने की कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन अज्ञात कारणों से सीडीपीओ चयेन्द्र बुड़ेकर ऐसा करने से बच रहे है? कानून के जानकारों का कहना है कि जो तर्क बुड़ेकर दे रहे हैं वह गले उतरने वाले नहीं है। जिस मामले में तीन माह की सजा आरोपी पक्ष काट चुका हो उसमें तो अब तक पद से पृथक की जाने की कार्रवाई हो जानी चाहिए थी?
- यह है फर्जी अंकसूची मामले को लेकर आरोप...
आरोप था कि सोनोली बुंडाला में आंगनवाड़ी सहायिका अंजली द्वारा फर्जी अंकसूची लगाकर और परियोजना अधिकारी को पैसे देकर अपनी नियुक्ति करवाई गई थी? शिकायत और जांच में अंकसूची फर्जी पाई गई। जिसमें सहायिका के विरूद्ध एफआईआर दर्ज हुई। तीन माह सहायिका जेल में रही। उसके द्वारा जेल जाने के बावजूद भी सीडीपीओ द्वारा उसे पद से पृथक करने को लेकर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई।
- इस तरह के जबरन के कुतर्क के आधार पर बुड़ेकर ने नहीं हटाया...
इस तरह के आरोप में अपनी सफाई में चयेन्द्र बुड़ेकर ने लिखित में दिया है कि उक्त महिला के जेल में रहने के बावजूद भी उसके विरूद्ध अभी न्यायालय में मामला चल रहा है, लेकिन दोष सिद्ध नहीं हुआ है इसलिए तात्कालीन डीपीओ सुमन पिल्लई और अधिवक्ताओं के मौखिक परामर्श के आधार पर उक्त आरोपी महिला को पद से नहीं हटाया गया। उक्त आरोपी महिला द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर नहीं हटाया।
- कानून के जानकारों का कहना है कि यह उचित नहीं...
पूरे मामले में जो बुड़ेकर का जवाब है उसे देखकर कानून के जानकारों का कहना है कि बुड़ेकर जानबूझकर सहायिका को अज्ञात कारणों से नहीं हटा रहे हैं, जबकि उसकी अंकसूची फर्जी पाए जाने पर सबसे पहले उसे पद से पृथक करने की कार्रवाई होना था, क्योंकि उसने फर्जी तरीके से नियुक्ति पाई है? ऐसी स्थिति में उसे पद से हटाया जाना चाहिए था? बुड़ेकर ने यदि ऐसा नहीं किया तो यह अपने आप में एक अपराध है!
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 03 जनवरी 2023