बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । महिला एवं बाल विकास विभाग आमला में तैनात सीडीपीओ चयेन्द्र बुड़ेकर के नये-नये कारनामे सामने आ रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उनके खिलाफ कहीं कोई कार्रवाई नहीं हो रही है? आश्चर्यजनक बात है कि एक अधिकारी 10 वर्ष से एक ही जगह पर तैनात हैं उस पर लगातार आरोप, प्रत्यारोप हो रहे है फिर भी उसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। अब ऐसा क्यों हैं यह सबसे बड़ा सवाल हो गया हैं ? आमला विधानसभा क्षेत्र में डॉ. योगेश पंडाग्रे जैसे विधायक के रहते हुए भी इस अधिकारी की कार्यप्रणाली में न कोई बदलाव नहीं आया है और न ही इसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई हो रही है? यही भी घोर आश्चर्य का विषय है! स्थानीय भाजपा के नेताओं का भी मानना है कि इस तरह के अधिकारियों की वजह से ही भाजपा की छवि खराब होती है? वहीं दूसरी ओर महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है इसके बावजूद कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ आमला परियोजना को इस तरह के विवादित और भ्रष्टाचार के आरोप वाले अधिकारी से मुक्त नहीं करा पा रहे हैं? इससे कई तरह के सवाल पूरे सिस्टम पर खड़े हो रहे हैं ?

- स्व सहायता समूह को किया गया अधिक भुगतान का मामला...
बताया गया कि वर्ष 2017 में सीडीपीओ चयेन्द्र बुड़ेकर द्वारा गुबरैल के स्व सहायता समूह जय संतोष मां को 22401 रूपये का अधिक भुगतान किया जाना पाए जाने पर उसे उक्त राशि वापस विभाग को करने के लिए पत्र लिखा गया। 

- विभाग की जगह सीडीपीओ के नाम पर बेरर चैक समूह ने जारी किया...
राशि वापस करने के लिए कायदे से जय मां संतोषी स्व सहायता समूह को राशि का चौक विभाग के नाम पर अकाउंट पेयी देना था, लेकिन समूह की विनिता डोंगरे ने सीडीपीओ चयेन्द्र बुड़ेकर के नाम पर बेरर चैक जारी कर उन्हें ही दे दिया गया ?

- 27 नवम्बर को चैक विड्राल हुआ पर रसीद 10 दिसम्बर को ही दे दी गई...
मामले में खास यह है कि चयेन्द्र बुड़ेकर ने यह राशि बैंक से 27 नवम्बर 2017 को विड्राल करवाई जिसकी रसीद दी। जबकि शासन से उक्त समूह के खाते में अधिक राशि एक माह बाद 30 दिसम्बर को जमा करना पाया गया।

- डीपीओ की जांच में गोलमाल होना स्पष्ट सामने आ गया था...
यह मामला जब सामने आया तो सीडीपीओ की जांच तात्कालीन डीपीओ ने अपने स्तर पर करवाई, तमाम दस्तावेज और बैंक खातों का रिकार्ड बुलवाया गया। जिसमें पाया गया कि 29 नवम्बर को चैक विड्राल हुआ और 30 दिसम्बर को राशि जमा हुई।

- जांच के बावजूद भी सीडीपीओ का खुले घोटाले में कुछ नहीं बिगड़ा...
इस पूरे घोटाले में भी सबकुछ पानी की तरह साफ होने के बावजूद सीडीपीओ बुड़ेकर का कहीं कुछ नहीं बिगड़ा यह तो खुली वित्तीय अनियमितता और घोटाले का मामला था। इसमें तो कायदे से सीडीपीओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना था।

- जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर क्यों कर रहे हैं अभी अनदेखी...
जिस तरह के आरोप चयेन्द्र बुड़ेकर पर रहे हैं , पूर्व में जिस तरह से उनकी जांच होती रही है उसे देखने के बावजूद भी वर्तमान जिला पंचायत सीईओ तेज तर्रार आईएएस अभिलाष मिश्रा और ईमानदार कलेक्टर आईएएस अमनबीर सिंह बैंस क्यों अनदेखी कर रहे हैं?
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 09 जनवरी 2023