बैतूल(ईएमएस)/नवल-वर्मा । जिले के तेजतर्रार आईएएस सीईओ जिला पंचायत अभिलाष मिश्र पर नियमों को ताक पर रखते हुए कार्य करने के आरोप लोगों द्वारा लगाये जा रहे जो कि प्रथमदृष्ट्या सही भी प्रतीत हो रहे? और सवाल भी उठ रहे हैं ? जिनका जवाब भी आम लोग जानना चाहते हैं ?

गौरतलब है कि कलेक्टर अमनवीर सिंह बैंस के अवकाश पर जाने के कारण प्रभारी कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाल रहे सीईओ अभिलाश मिश्रा को ये भी पता नहीं कि किस स्तर के अधिकारी को कौन सा प्रभार देना चाहिए, ऐसी बातें इसलिये भी आम लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है कि इन्होंने जनपद पंचायत प्रभातपट्टन में पदस्थ मूल पद पीसीओ (पंचायत समन्वय अधिकारी) एवम् प्रभारी बी.पी.ओ. दिलीप बारस्कर को जनपद पंचायत का सीईओ बना दिया ? उधर कुछ दिन पहले तकनीकी अधिकारी एसडीओ आरईएस को जनपद पंचायत चिचोली का सीईओ बना दिया गया है। जबकि नियमानुसार इस पद पर उसी के समकक्ष प्रशासनिक अधिकारी को ही प्रभार दिया जा सकता है।

- शासन के सभी नियम कानून एक तरफ सीईओ साहब एकतरफ ...
अब तो लोग कहने लगे हैं कि नियमों को धता बताते हुए यदि ऐसा ही चलता रहा तो हो गया इस जिले का उद्धार। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय भोपाल के आदेश क्रमांक 63/एसीएस /2017 भोपाल दिनांक 12/09/2017 की कंडिका क्रमांक  1 से 6 एवम 2 तथा 3  अनुसार जनपद पंचायत के सीईओ का प्रभार दिये जाने का प्रावधान है। लेकिन सीईओ साहब कहा राज्य शासन के आदेश व नियमों  को मान रहे! लोग अब ऐसा कहने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं कि ये साहब तो ठहरे वन मेन आर्मी जो खुद को सही लगे वही करना है। अब वे इस आदिवासी बाहुल्य जिले मे जैसा चाहे वैसा शासन चला रहे जिनसे कौन पूछने वाला है, किसी भी पार्टी के दिग्गज एवम् छुटभैय्ये नेताओं को इससे क्या फर्क पड़ता है, उन्हे तो बस इतना पता है कि साहब तेज तर्रार आईएएस अधिकारी हैं,सब सही कर रहे हैं।

- लोगों का आरोप : मामा के राज में मामू बना रहे अधिकारी ...
 प्रदेश के मुखिया मामा शिवराज के राज में वरिष्ठ अधिकारियों ने तो पूरे जिलेवासियों को ही मामू समझ लिया है। लेकिन अब मुख्यमंत्री को तो इनका कुछ करना ही पडे़गा वरना आगे चुनाव आ रहे हैं, नहीं तो ऐसे अधिकारी उनका ही बेडा़ गर्क कर देंगे। अनियंत्रित और नियम विरुद्ध क्रियान्वयन आने वाले समय में आपको और आपकी पार्टी को कितना नुकसानदेह होने वाला है इसका पता तो 2023 मे होने वाले विधानसभा चुनाव मे देखने को मिलेगा ही। 

- विपक्ष का सपना साकार करने में भी नहीं कोई कमी...
ऐसा ही चलता रहा तो विपक्ष का सपना भी साकार करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रहेगी ? लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि यहाँ यह शातिराना चाल पंचायत प्रकोष्ठ प्रभारी की अनुभवशीलता और गुणवत्ता को प्रदर्शित करती नज़र आ रही है जिसे विपक्ष आखें मूंदकर मंद-मंद मुस्कुराकर स्वीकार कर रहा है वहीं वरिष्ठ अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर वह अपनी काबिलियत का लोहा मनवाने में भी कामयाब हो रहा है। अब देखना होगा कि कौन कब तक जागृत होता है अथवा यह सब खेला कब तक चलता रहेगा ।
नवल-वर्मा-ईएमएस-बैतूल 18 नवम्बर 2022