बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। जिला जनसंपर्क कार्यालय में पदस्थ अधिकारी मुकेश दुबे को लेकर बैतूल के मीडियाकर्मियों की एकमात्र राय यह है कि चुनाव के दौरान इनसे अपडेट ही नहीं देखा गया। इसके पास चुनाव से जुड़ी कोई भी जानकारी या सूचना उपलब्ध ही नहीं रहती थी।
बताया गया कि निर्वाचन द्वारा जो सूचनाएं या जानकारी मीडिया को उपलब्ध कराने के लिए पीआरओ को दी जाती थी वह भी यह महानुभाव बेहतर तरीके से और पूरे कटेंट के साथ उपलब्ध नहीं करवा पा रहे थे। इनकी कार्यप्रणाली को लेकर बैतूल की मीडिया में अब भारी आक्रोश देखा जा रहा है। चुनाव में पत्रकारों के कार्ड को लेकर भी पीआरओ की घोर लापरवाही सामने आई है। इन्होंने कार्ड को लेकर जिस तरह का प्रबंधन किया वह कु-प्रबंधन माना जा रहा है।
एक युवा पत्रकार का कहना है कि बैतूल में मीडिया को पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि पीआरओ का नकारापन क्या होता है? एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि एमसीएमसी कमेटी में भी पीआरओ ने अपने नैतिक उत्तरदायित्वों का पालन नहीं किया है, इसलिए तो कुछ भी होता रहा और इन्होंने कोई एक्शन ही नहीं लिया।
कुछ पत्रकारों का अनुभव बताता है कि इनके पास मीडिया और खबर कटेंट आदि को लेकर संभवत नॉलेज ही नहीं है, इसलिए यह एमसीएमसी कमेटी में कोई प्रभावी काम ही नहीं कर पाए। उनका कहना है कि पीआरओ दुबे को संभवत पीआरओ का मूल काम का नॉलेज ही नहीं है।
वहीं एक पत्रकार का कहना है कि जब से बैतूल में यह पीआरओ पदस्थ हुए है, तब से हालत यह है कि जनसंपर्क से जारी होने सूचनाओं और खबरों की संख्या ही न्यूनतम हो गई है। हालत यह है कि चुनाव के दौरान प्रशासन ने जो वोटिंग बढ़ाने के लिए स्वीप प्लॉन के तहत नवाचार आदि किए थे, वह भी मीडिया को उपलब्ध नहीं करवाया गया और उसका भी ठीक से प्रचार-प्रसार नहीं हुआ।
लोगों का कहना है कि पीआरओ का मन नहीं लग रहा है, इसलिए बला टालों वाले अंदाज में काम कर रहे है और इसलिए चुनाव के दौरान जो उनका काम था वह भी उन्होंने जिम्मेदारी से नहीं किया और पत्रकारों को भी उनके अधिकार से वंचित रखा ?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 19 नवंबर 2023