(बैतूल) कैंसर-डे विशेष : एक लड़ाई कैंसर पीडि़त के परिवार की मदद के लिए अतिआवश्यक ,

- कैंसर पीडि़त परिवारों का पुर्नवास भी एक बड़ा मसला, प्रतिष्ठित सीए सुनील हिराणी ने दिखाया है रास्ता

बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में कैंसर एक बड़ी समस्या है जिस पैमाने पर कैंसर मरीज सामने आ रहे हैं उसे देखते हुए कैंसर को लेकर जागरूकता के कई प्रयास हो रहे हैं। कैंसर के खिलाफ लडा़ई लड़ चुके हेमंतचंद बबलू दुबे ने तो अपने जीवन का लक्ष्य ही कैंसर के खिलाफ मुहिम को बना रखा है। कैंसर के खिलाफ जंग लडऩे वाले परिवारों के सामने कई चुनौतियां आती है सामान्य या निम्र तबके का व्यक्ति जब कैंसर पीडि़त होता है तो उसके इलाज और अन्य कारणों से वह आर्थिक रूप से इतना टूट जाता है कि उसका पूरा परिवार ही एक अलग तरह के संकट में फंस जाता है। ऐसे परिवारों के पुर्नवास को लेकर भी समाज और सिस्टम में कोई व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि इस तरह के परिवार आगे भविष्य में अपने को आगे बढ़ा सके और आनेवाली चुनौतियों का सामना कर सके। इसके लिए शहर के प्रतिष्ठित समाजसेवी एवम् चार्टर्ड अकाउंटेंट सुनील हिराणी ने अपनी तरफ से एक प्रयास कर बेहतर विकल्प या उदाहरण प्रस्तुत किया है। समाज में जो लोग सक्षम है वे इस तरह से भी अपने आसपास के या जानकारी वाले कैंसर पीडि़त के परिवार को जीवन की चुनौतियों में डटकर खड़े रहने में मदद कर सकते हैं।

- हॉकी खिलाड़ी के परिवार के मामले से समझा सकता है कि कैसे होना चाहिए मदद...
विश्वविद्यालय की हॉकी टीम में खेलने वाली बैतूल की होनहार खिलाड़ी वर्षा पस्तोरकर की कहानी इस तथ्य को रेखांकित करती है कि कैंसर पीडि़त के परिवार को भी मदद और संबल की जरूरत होती है। वर्षा के पिता मजदूरी करते थे और कैंसर के कारण उन्हें अपनी मजदूरी से भी हाथ धोना पडा़ । वैसे ही यह परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था और कैंसर के इलाज में पूरी तरह से टूट गया था। हालात यह थी कि घर की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी इस परिवार को हैरान-परेशान होना पड़ता था। ऐसी स्थिति में वर्षा का संपर्क समाजसेवी और चार्टर्ड अकाउटेंट सुनील हिराणी से हुआ। उन्होंने वस्तुस्थिति को देखा और समझा। उन्हें यह भी समझ आ गया कि वर्षा स्वाभिमानी लड़की है वह किसी तरह से अहसान वाली सहायता नहीं चाहती। ऐसी स्थिति में उन्होंने उसके लिए विकल्प पर विचार किया। जब उन्हें वर्षा ने बताया कि वह बीकॉम कर चुकी है। तो सुनील हिराणी ने उसके लिए अपने ऑफिस में ही अकाउंटिग की ट्रेनिंग की व्यवस्था कराई जिससे कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। अपने साथ ही अपने परिवार की भी मदद कर सके।

- इनका कहना...
कैंसर ऐसी बीमारी है जिसके इलाज में अच्छे-अच्छे लोग आर्थिक रूप से टूट जाते हैं। सरकार के पास कैंसर मरीजों की मदद के लिए योजनाएँ हैं पर कैंसर पीडि़त के गरीब परिवार के लिए कुछ नहीं ।
- वर्षा पस्तोरकर, हॉकी खिलाड़ी, बैतूल ।

- कैंसर पीडि़त के परिजनों के पुनर्वास को लेकर समाज को आगे आना चाहिए। साथ ही जो संस्थाएं समाजसेवा करती है उन्हें ऐसे परिवारों को चिन्हित कर उनकी मदद के लिए प्रयास करना चाहिए।
- हेमंतचंद दुबे, कैंसर फाईटर, समाजसेवी, बैतूल ।

- कैंसर पीडि़त के परिवार को लेकर भी कोई न कोई ऐसी योजना होनी चाहिए जिससे कैंसर पीडि़त की मौत के बाद उसका परिवार बिखरे नहीं। उनकी आजीविका भी चलती रहे और वे संकट में न फंसे।
- सुनील हिराणी, चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट, समाजसेवी, बैतूल ।
                 नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  04 फरवरी 2022