(बैतूल) पूर्व सांसद हेमंत खण्डेलवाल के कहने पर जल संसाधन विभाग ने माचना को लेकर किया सर्वे,
- माचना में उपलब्ध 160 एमसीएम पानी पर उपयोग हो रहा मात्र 40 एमसीएम ही पानी
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । बैतूल जिले में ताप्ती के अलावा माचना भी एक बड़ी नदी है जिसके किनारे बैतूल, शाहपुर जैसे शहर बड़ी आबादी वाले कस्बे बसे हुए है। इसके अलावा दर्जनों गांव है। इसके बावजूद इस नदी में जो जल भराव क्षमता है उसका सही उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। यह बात जल संसाधन विभाग की एक आंतरिक रिपोर्ट कहती है। रिपोर्ट के अनुसार बैतूल जिले में माचना नदी के अंदर लगभग 160 एमसीएम पानी उपलब्ध है जिसमें से मात्र 40 एमसीएम ही पानी ही उपयोग किया जा रहा है। वहीं 120 एमसीएम पानी बेकार जा रहा है। नर्मदा जल प्राधिकरण के निर्णय के अनुसार वर्ष 2024 तक की नर्मदा बेसिन के जल का उपयोग किया जाना है। इसके बावजूद हालात यह है कि माचना पर यदि कोई बड़ी परियोजना देखी जाए तो  वह गढ़ा परियोजना ही है जो वर्षो से लंबित चली आ रही है और अभी भी इस परियोजना में कई तरह के पेंच फंसे हुए है। इस स्थिति को देखने के बाद यह समझ आता है कि बैतूल जिले में इस बड़ी नदी को लेकर सही तरीके से कभी कोई प्लॉनिंग ही नहीं की गई।

- शीतलझिरी प्रोजेक्ट के लिए जलसंसाधन विभाग ने भेजा प्रस्ताव...
माचना में उपलब्ध के जल उपयोग के लिए जल संसाधन विभाग ने मध्यम सिंचाई परियोजना का प्रोजेक्ट बनाकर मुख्यालय भेजा है। जहां से स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में करीब 10 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 50 एमसीएम पानी का और उपयोग हो सकेगा। हालांकि अभी तक इसे स्वीकृति नहीं मिली है। पूर्व सांसद हेमंत खण्डेलवाल ने हाल ही में जल संसाधन मंत्री से इस प्रोजेक्ट पर चर्चा की है।

- 2024 के बाद नर्मदा बेसिन की नदियों पर नहीं बना सकेंगे बड़े प्रोजेक्ट...
नर्मदा जल विवाद प्राधिकरण के निर्णय के अनुसार नर्मदा बेसिन क्षेत्र में सिंचाई आदि के लिए बड़े प्रोजेक्ट 2024 के बाद नहीं बनाए जा सकते। 2024 तक जिन प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल जाएगी वही प्रोजेक्ट आगे काम कर पाएंगे। नर्मदा और उसकी सहायक नदियों को लेकर यह स्थिति रहेगी। इसलिए जल संसाधन विभाग अब अपना पूरा फोकस माचना नदी को लेकर कर रहा है। इसलिए गढ़ा का काम जल्दी शुरू करवा रही है।

- बैतूल जिले में बैराज स्टाईल की परियोजनाओं के लिए अपार संभावनाएं...
जल संसाधन विभाग के एक्सपर्ट के अनुसार बैतूल जिले की जो भौगोलिक स्थिति है उसमें 0.50 एमसीएम से छोटे बांध बनाने की अपार संभावनाएं है, लेकिन जो जल संसाधन विभाग के नियम है उसमें 0.50 एमसीएम से कम क्षमता के बांध नहीं बनाए जा सकते है। पिछले दिनों इस स्थिति को लेकर भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने भोपाल में सीएम और जल संसाधन मंत्री को वस्तु स्थिति से अवगत कराया था।

- बैतूल शहर के लिए भविष्य की संभावनाओं को लेकर यह बताए गए हैँ विकल्प...
1 - माचना नदी में बैतूल शहर के अपस्ट्रीन में चार एमसीएम तक जल भराव क्षमता के लिए बैंक उपलब्ध न होने से बांध बैराज का निर्माण कार्य का सर्वे कराया जाना उचित नहीं है। 
2 - कार्य स्थल के अनुरूप ग्राम मोरडोंगरी के समीप 2.94 एमसीएम के बांध निर्माण का स्थल उपलब्ध है जिसका सर्वेक्षण कार्य कराया जा सकता है। उक्त पानी का माचना नदी के माध्यम से बैतूल शहर के लिए मिल सकता है।
3 - दूसरे विकल्प में चिचढाना के समीप बांध निर्माण के लिए 9.43 एमसीएम पानी की उपलब्धता है। आवश्यकता अनुसार बांध का निर्माण किया जा सकता है।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  12 मार्च 2022

न्यूज़ सोर्स : Water Resorce