बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । आबकारी विभाग में किस पैमाने पर और किस नीयत के साथ अफरा-तफरी होती है इसकी पोल महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट से खुलती है। जून 2020 में पहले लॉकडाउन के दौरान जो 1.34 करोड़ की शराब रात भर में गायब करने का खेल उजागर हुआ है। उसको लेकर डेमेज कंट्रोल करने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यह मामला अब दबाया नहीं जा सकता। महालेखाकार की रिपोर्ट से यह भी सामने आया कि इटारसी से जो शराब परिवहन होती है उसमें भी कई तरह की गड़बडिय़ां है और अनियमिताएं की गई है। हालत यह है कि 10 क्वाटर परिवहन के दौरान हजम कर लिए गए। यह सब रिकार्ड मिलान के दौरान ऑडिटरों के सामने आया।  इस स्थिति को देखने के बाद लोग कह रहे हैं कि जो लोग 10 क्वाटर पर नियत खराब कर सकते हैं। वह व्यक्ति क्या 1 करोड़ 34 लाख की शराब का गबन नहीं कर सकता? सबका मानना है कि इस गबन में एडीओ माहोरे की भूमिका है और उन्हें बचाने के लिए कभी देवांगन का नाम लिया जाता है तो कभी किसी और का! हालाकि हाथ किसका है इसका खुलासा निष्पक्ष जांच से ही हो सकता है।

- शराब परिवहन में भी हुआ खेल, परिवहन अनुज्ञा पत्र है संदिग्ध...
गंज और प्रताप वार्ड के दस्तावेजों की जांच से ऑडिटर ने पाया है कि 1 दुकान से दूसरी दुकान शराब परिवहन में जो परिवहन अनुज्ञा पत्र जारी किए गए वह भी संदिग्ध हैं। अनेक अनुज्ञा पत्रों में शराब की मात्रा बल्क लीटर या प्रूफ लीटर में दर्ज नहीं की गई। मात्रा में पेटी में परिवहन की गई और बोतलों में दर्ज की गई।

- परिवहन में गायब कर दिए 1400 रूपये के 10 क्वाटर...
बताया गया कि वेयर हाउस होशंगाबाद की एनओसी 10 जून को गंज शराब दुकान के लिए जारी की गई। जिसमें 80 पेटी प्राप्त की गई। 80 पेटी में 48 नग प्रति पेटी के हिसाब से 3840 नग दर्ज होना था, लेकिन स्कंध पंजी में 1830 नग ही दर्ज किए गए। इस तरह से 10 नग गायब कर दिए गए और इसका कोई कारण नही बताया गया।

- इधर राजीव तिगड्डे पाथाखेड़ा की दुकान 7 दिन में हटाने की मोहलत दी...
राजीव तिगड्डे पाथाखेड़ा की शराब दुकान के मामले में वन विभाग ने शराब ठेकेदार और आबकारी विभाग को 7 दिन के अंदर अपनी दुकान हटाने के निर्देश दिए हैं, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। बताया गया कि वन विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि यह शराब दुकान वन भूमि पर ही है और पूर्व में पीओआर भी फाड़ा गया था। ऐसी स्थिति में पुन: दुकान का संचालन करना जानबूझकर अपराध करने की श्रेणी में आता है। वन विभाग ने इस मामले में कलेक्टर और आबकारी अधिकारी को भी पत्र लिखा है।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  25 अगस्त 2022