बैतूल (हेडलाईन)/नवल वर्मा।फारेस्ट विभाग के पश्चिम वन मंडल मे सुरक्षा श्रमिकों के नाम गजब का फर्जीवाड़ा चल रहा है! जबकि जो वास्तविक सुरक्षा श्रमिक है उन्हे शासन के दिशा निर्देशनुसार मानदेय ही नही दिया जा रहा है ? सुरक्षा श्रमिकों के नाम की जा रही धांधली के मामले मे एक शिकायत वन विभाग के आला अधिकारियो के पास की गई है। सूत्रों की अगर माने तो पश्चिम वनमंडल की पाचो रेंज से सुरक्षा श्रमिकों के नाम पर फर्जी तरिके से वाउचर भरकर भुगतान निकाला जा रहा है। जबकि फारेस्ट की गाइडलाइन के अनुसार उन्हे 26 दिनों का मानदेय न देकर सिर्फ 13 दिनों की ही मानदेय राशि दी जा रही है।

- पश्चिम वनमंडल मे सुरक्षा श्रमिकों की फर्जी हाजरी...

 

गौरतलब है की पश्चिम वनमंडल की पांचो रेंज मे सुरक्षा श्रमिकों (चौकीदारो) के नाम फर्जी हाजिरी डालकर मानदेय राशि आहरण कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है रेज की कूपो मे सुरक्षा श्रमिकों के नाम जो राशि आवंटन होती है वह समिति के माध्यम से फर्जी तरिके से निकाली जा रही है।  3 नंबर कूप की सुरक्षा की राशि  से लगाकर 7 कुपो मे फर्जी बने सुरक्षा श्रमिकों    फर्जी तरिके से बनाए गये चौकीदारो द्वारा 26 दिनों के मानदेय भुगतान फर्जी निकालकर 60 और 40 प्रतिशत का रेशो बनाया जाता है जिसमे 60 वरिष्ठ और कनिष्ठ तथा 40 निचले स्तर पर समिति अध्यक्ष तक रहता है।
उदाहरणार्थ समिति द्वारा कुपो या वनमंडलो की बीटो मे दो सुरक्षा श्रमिक रखे गये उनको 13 दिन का ही मानदेय दिया गया और जो फर्जी  श्रमिक है उनकी 26 दिनों का वाउचर बनाकर मानदेय राशि का बंदरबाट किया गया है।

- डीएफओ के घरो में कार्यरत कर्मचारियों का समिति से हो रहा भुगतान...

 

शिकायतकर्ता की माने तो डी एफ ओ के घरो का काम जैसे  साफ सफाई व अन्य कार्य करने वाले कर्मचारियों का भुगतान समितियों की राशि से किया गया यहां तक समितियों के ग्राम विकास उन्नयन
राशि  से अधिकारियो के भवन मेंटेन्स साज सज्जा के लिए व्यय उपयोग तक किया गया है।

- आती है हर वर्ष नए कूप के लिए राशि...

 

बताया जाता है हर वित्तीय वर्ष मे नए कूप मे राशि आती है जिसमे फर्जी सुरक्षा श्रमिकों के नाम पर एक वर्ष तक फर्जी वाउचर सुरक्षा के नाम पर बनाए जा रहे है हर कूप से समितियों के खातों मे लाभांश राशि आती है जिसमे ग्रामो मे विकास कार्य नही किया जा रहा है । कूप नंबर 1 से 7 नंबर तक फर्जी वाउचर बनाकर लाभांश राशि का दुरूपयोग किया गया है इस राशि का आहरण अतिक्रमण, सुरक्षा श्रमिक , नाइट गश्ती, बोरी बंधान के नाम फर्जी तरीके से किया गया जबकि ग्रामो का विकास नही किया गया ।

- वन सुरक्षा समितियों के लिए है गाइडलाइन...

 

मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 22 अक्टूबर 2001 के पुनरीक्षित संकल्प की कंडिका क्रमांक 11.1.5 के अनुसार प्रत्येक प्रकार की समिति को अंतिम पातन से मिलने वाली राशि का 50 प्रतिशत भाग समिति के सदस्यों के बीच नगद वितरित किया जावेगा, 30 प्रतिशत भाग ग्रामीण संसाधन विकास एवं 20 प्रतिशत भाग वन विकास कार्यों हेतु व्यय ।
वित्तीय वर्ष 2023 में समितियों को प्राप्त लाभांश राशि एवं उसके पश्चात् प्राप्त लाभांश राशि के उपयोग के संबंध में निर्देश है कि समिति को प्राप्त कुल राशि का 50 प्रतिशत राशि समिति सदस्यों को नगद वितरण हेतु समिति में शेष रखना अनिवार्य है एवं जो 50 प्रतिशत राशि शेष है, उस राशि के 75 प्रतिशत राशि (समिति खाते में प्राप्त) से ग्राम संसाधन विकास के कार्य एवं 25 प्रतिशत राशि (विकास खाते में प्राप्त) से वन विकास के कार्य ही प्रस्तावित  होगे।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 03 नवम्बर 2024