बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। जिले के स्वास्थ्य विभाग में एनआरएचएम फंड से संचालित हो रहे वाहनों को लेकर जिस तरह के सवाल और जानकारियां सामने आ रही है वह बताती है कि पूरे मामले की विस्तृत और निष्पक्ष जांच की नितांत आवश्यकता है। जिस तरह के आरोप हवा में तैर रहे है उन्हें देखते हुए वाहनों को लेकर सीएमएचओ कार्यालय में शाखा का कामकाज देखने वाले पुष्पेन्द्र बाबू को तत्काल सामने आकर प्रमाण के साथ यह स्पष्ट करना चाहिए कि जो भी वाहन वहां किराए पर चल रहे है वे उनके किसी करीबी या रिश्तेदार आदि के नहीं है? क्योंकि आरोप लग रहा है कि ठेकेदार के साथ सांठगांठ कर पुष्पेन्द्र बाबू अपने रिश्तेदारों के नाम पर वाहनों का संचालन करवा रहे है!
 सूत्रों का तो दावा है कि वाहन क्रमांक एमपी-48-जेडएफ-1968, एमपी-48-जेडएफ-1956, एमपी-48-टी-1992, और एमपी-48-टी-1991 जो वाहन है यह ठेकेदार के नहीं है। इनका कोई ना कोई कनेक्शन पुष्पेन्द्र बाबू से जरूर है! अब कनेक्शन क्या है यह तो जांच से ही स्पष्ट हो सकता है और जांच भी इस स्तर पर होना चाहिए कि वाहन किसके नाम पर रजिस्टर्ड है और वास्तव में इसका भुगतान किसके खाते में जा रहे है? यदि बैंक से फाईनेंस है तो इनकी किश्त कौन अदा कर रहा है! वहीं जिनके नाम पर वाहन रजिस्टर्ड है उनका पुष्पेन्द्र बाबू से क्या कनेक्शन है?
स्वास्थ्य विभाग में किराए के वाहन संचालन में आ रही अनियिमतताओं की जानकारी को लेकर कलेक्टर और सीएमएचओ से चर्चा के लिए संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इसलिए प्रशसानिक पक्ष सामने नहीं आ पाया।

- बड़ा सवाल : लॉग बुक बीमएमओ से वेरीफाई क्यों नहीं कराई जाती...
स्वास्थ्य विभाग में जो वाहन संचालित हो रहे है, उसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो लॉग बुक भरी जाती है, उसे संबंधित बीएमओ द्वारा वेरीफाई क्यों नहीं किया जाता? चूंकि वाहनों पर जीपीएस नहीं लगे है, ऐसी स्थिति में वाहन कहां चल रहे है और कहां नहीं चल रहे है इसका वेरीफिकेशन कैसे किया जाता है? आरोप तो यह है कि आरबीएसके के डॉक्टर्स मुख्यालय पर ही बैठकर ही अपने दौरे की लॉग बुक भरते है। वहीं आरोप तो यहां तक है कि जो वाहन चल रहे है उसमें से तीन-चार ही ठेकेदार के है बाकी पुष्पेन्द्र बाबू का अपना कोई चमत्कार है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 02 मई 2025