(बैतूल) ताप्ती नदी से फिर रेत का अवैध उत्खनन हुआ शुरू, जिम्मेदार बेपरवाह, - वन विभाग के बीटगार्ड की मिलीभगत से हो रहा वन संपदा को नुकसान
(बैतूल) ताप्ती नदी से फिर रेत का अवैध उत्खनन हुआ शुरू जिम्मेदार बेपरवाह,
- वन विभाग के बीटगार्ड की मिलीभगत से हो रहा वन संपदा का हो रहा नुकसान
भीमपुर/बैतूल (हेडलाईन)/नवल-वर्मा । चिचोली रेंज के घोघरा सर्किल के अंतर्गत आने वाले जामु-रातामाटी में ताप्ती नदी से रेत खनन का अवैध कारोबार एक बार फिर शुरू हो गया है। यहां से बड़े पैमाने पर वन क्षेत्र से रेत निकाली जा रही है। यह रेत जामू से निकलकर ग्रामीण क्षेत्र से भर कर भैंसदेही तक ऊचे दामों पर विभिन्न क्षेत्रों में पहुंच रही है। रेत से भरे टैक्टर के रोजाना बड़ी संख्या में निकलने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में स्थित प्रधानमंत्री सड़कों के भी बुरे हाल हैं।
चिचोली रेंज की घोघरा रातामाटी जामु सर्किल के अंतर्गत आने वाली ताप्ती नदी कुछ दिनों की राहत के बाद एक बार फिर रेत माफिया के निशाने पर हैं। रेत माफिया यहां बेखौफ होकर वन क्षेत्र में में ताप्ती नदी से रोजाना बड़े पैमाने पर रेत निकाल रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रतिदिन यहां से दर्जनों ट्रैक्टर-ट्राली भर कर रेत निकाली जा रही है। फॉरेस्ट होने के बावजूद वन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि हैं वन विभाग के बीट कर्मचारी के द्वारा अवैध उत्खनन करने वाले ट्रैक्टरों से प्रतिमाह रूपयों का लेन-देन रेत माफियाओं से किया जाता है यही कारण है कि दिनदहाड़े वन क्षेत्र से रेत निकालने के अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। रेत निकाले जाने से यहां ताप्ती नदी बुरी तरह छलनी हो चुकी है वहीं ग्रामीणों के खेतों में से रोड बनाकर फसलें भी बर्बाद कर रहे हैं ।
- रेत के अवैध उत्खनन के साथ-साथ सागौन कटाई भी कर सकते हैं रेत माफिया...
ऐसा नहीं है कि यहां से केवल रेत ही निकल रही है। जानकारों का दावा है कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध कटाई भी होती रहती है यहां से निकलने वाला बेशकीमती सागौन रेत के वाहनों में नीचे दबाकर जंगल से बाहर निकाली जा सकती है। इस तरह से रेत माफिया दोहरा लाभ कमा रहे होंगे रेत के साथ-साथ अवैध सागौन से भी वे तगड़ा मुनाफा कमाते होंगे वन विभाग ने लगभग 1 साल पहले ग्राम जामु से बड़ी मात्रा में सागौन जप्त किया गया था। शायद यह रेत माफियाओं का ही द्वारा किया गया होगा । इसके बावजूद भी अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लग पा रही है
रात के समय ओर सुबह-सुबह
जामु आमढाना क्षेत्र से भी रेत दर्जनों ट्रैक्टर से बेखौफ होकर निकाली जाती है। यह वाहन प्रधानमंत्री सड़कों से निकलते हैं। बड़ी मात्रा में रोजाना इन वाहनों गुजरने से प्रधानमंत्री सड़कों की हालत बदहाल हो रहे है। इन वाहनों को भी कहीं कोई बंद करने की जहमत नहीं उठाता ।
- हादसे का भी बना रहता है अंदेशा...
रेत से भरे इन वाहन से हादसों का अंदेशा भी बना रहता है। इन वाहनों से सबसे ज्यादा खतरा छोटे वाहनों को रहता है। ग्रामीण क्षेत्र से गुजर कर रेत से भरे वाहन निकलते हैं जिससे ग्रामीणों को इन भारी वाहनों से खासा खतरा बना रहता है वहीं ग्रामीण क्षेत्र में गलियों में छोटे छोटे बालक खेलते दिखाई देते रहते हैं इन वाहनों से डर हमेशा बना रहता है। अवैध रूप से रेत का परिवहन करने के कारण इन वाहनों की गति भी तेज होती है।
- कुछ ग्रामीणों का भी लिया जाता है सहयोग...
रेत माफिया बेरोकटोक अपने कारोबार को चलाने के लिए आसपास के कुछ ग्रामीणों का भी सहयोग लेते हैं। क्षेत्र में जगह-जगह अपने मुखबिर बैठा कर इस अवैध कार्य को अंजाम देते हैं । किसी भी तरह की कार्रवाई या शिकवा-शिकायत की जानकारी पहले ही माफिया को मिल जाती है।
- पूर्व में भी विभाग ने पकड़े थे 17 ट्रैक्टर...
इस क्षेत्र से लगभग चार साल पहले ही वन विभाग के आला अफसरों से शिकायत होने पर वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 17 ट्रैक्टर-ट्रालियां यहां जामु से पकडे थे । इसके बाद कुछ दिनों तक रेत माफिया शांत दिखाई दे रहे थे परंतु अब रेत का कारोबार एक बार फिर धड़ल्ले से फिर एक बार चालू हो गया है।
- रेत माफिया के हौसले हैं बुलंद ...
इस क्षेत्र में पहले से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है वन विभाग के 2 - 3 कर्मचारी वहां हमेशा तैनात रहते हैं, उसके बावजूद भी अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लग पा रहा है। सूत्र बताते हैं कि वन विभाग के कर्मचारी की मिलीभगत से लगातार अवैध रेत का उत्खनन और परिवहन चलता आ रहा है।
- इनका कहना ...
हमारे क्षेत्र से रेत का उत्खनन नहीं हो रहा है। फिर भी मैं दिखवाता हूँ।
- वन विभाग बीड गार्ड घोघरा।
- हमारे क्षेत्र में रेत उत्खनन वालों के लिए नाके का निर्माण किया जा रहा है। विभाग की ओर से ऐसा नहीं हो सकता। फिर भी मैं देखता हूं।
- प्रकाश यादव, डिप्टी रेंजर, आमढाना सर्किल।
- रेत निकलती तो दोनों एरिया से ही है। यह सभी को दिखती है। दोनों डिवीजन अलग-अलग है । दोनों मिलकर कार्रवाई करें तो कंट्रोल हो सकता है। कहीं ना कहीं रेत माफिया वन संपदा को नुकसान तो पहुंचा रहे हैं।
श्री बघेल, नाकेदार, पलस्या।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 14 मार्च 2022