गणतंत्र का मतलब सिर्फ वोट देना नहीं : नवल वर्मा
एक बार फिर हमारा देश गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था और इसलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह दिवस मनाए जाने का उद्देश्य यह है कि भारत का आम नागरिक अपने संविधान को जाने - समझे और अपने संविधान के प्रति आस्था तथा निष्ठा रखे। वहीं संविधान में मिले अधिकारों के प्रति सचेत रहे और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहे। संविधान में जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत हमे नागरिक माना गया है। उस नागरिक के उत्तरदायित्वों को हमेशा हम याद रखें और उनका हम कितना पालन कर रहे हैं इसका हम स्वयं मूल्यांकन करें। इसलिए भी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह महज एक सरकारी त्यौहार या इवेंट नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों की कुर्बानियों से मिली हुई आजादी को सुरक्षित रखने और देश को समृद्धशाली, शक्तिशाली लोकतंत्र बनाने की व्यवस्था को याद दिलाने वाला दिन है। इसलिए गणतंत्र दिवस पर यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम एक मतदाता के रूप में भी अपने उत्तरदायित्व को समझें । सिर्फ वोट डालना हमारा कर्तव्य न हो, बल्कि हम इस बात का पूरा ध्यान रखे कि बिना लोभ लालच में आए अच्छी तरह से सोच समझकर और जिसे वोट दे रहे है उसे परखकर ही अपना वोट दें। यदि हमारा लोकतंत्र मजबूत रहेगा तो ही हमारे अधिकार सुरक्षित रहेंगे। जब हमारे अधिकार सुरक्षित रहेंगे तब हम कर्तव्य पथ पर चलते हुए देश को समृद्धशाली और शक्तिशाली बनाएंगे। इसलिए जरूरी है कि हम अपने संविधान की मूल भावना को समझे और यह मानकर चले कि "हम भारत के लोग" वाली प्रस्तावना हमें यह बताती है कि हम जात, पात और धर्म से भी ऊपर उठकर अपने देश को देखें और अपने संविधान के प्रति निष्ठा रखें ।
नवल वर्मा बैतूल, 26 जनवरी 2023