-... जब ओखली में सिर दे ही दिया है तो मूसल से क्या डरना..?
 यह बात बचपन से हमारे पूर्वज समझाते आ रहे हैं, और इसलिए अगर हरिराम उर्फ़ पाटनकर के अवैध तरीके से की गई काली कमाई के खुलासे को लेकर बीड़ा उठाया है तो हमें पता था कि आज नहीं तो कल बौखलाए और डरे हुए, कमजोर लोग हमें भी निशाने पर लेंगे, कुछ न कुछ घटिया षडयंत्र रचेंगे, लेकिन इससे उनके पाप उजागर करने का काम बंद नहीं होगा। क्योंकि हमारा मकसद जनसरोकार है। जिन जनप्रतिनिधियों और लोगों ने हरिराम उर्फ़ पाटनकर के साथ मिलकर सारा खेल खेला है
और अब भी कृषकों एवं गरीबों को शासन से प्राप्त होने वाली सुविधाओं से वंचित कर रहे हैं उनकी आवाज को सबके सामने लाना हमारा एकमात्र उद्देश्य है?
क्योंकि हम सब जानते हैं कि यदि हम काजल की कोठरी में बैठे हैं दाग तो लगेगा ही..! लेकिन लोग तो यह भी कह रहे हैं कि यह दाग भी अच्छा है पर जो दाग लगाने का षडयंत्र रच रहे हैं, वे भी जरा अपने गिरेबान में झांककर देखें कि उनका तो पूरा चरित्र ही किस कदर दागदार है। इसलिए सावधान रहो और समझदार बनो।
चूंकि अभी तो शुरूआत ही हुई है कहानी में तो अभी और बहुत सारे ट्विस्ट बाकी है।
ईओडब्लूयु, ई डी, लोकायुक्त एवं लोकपाल और कोर्ट के रास्ते भी खुले हुए हैं साथ ही गड़बड़झाले तथा घोटाले से संबंधित सम्पूर्ण दस्तावेज भी अभी सबके सामने आना शेष हैं..!