बैतूल (हेडलाइन)/ नवल वर्मा । महिला बाल विकास विभाग आमला में पदस्थ रहे सीडीपीओ चयेन्द्र बुड़ेकर की कार्यप्रणाली और उन पर लगे आरोपों सहित विवादों को देखते हुए ज्यादातर लोगों का मानना है कि निलंबन जैसी कार्रवाई पर्याप्त नहीं है! ऐसे अधिकारियों को बर्खाश्त किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ एफआईआर होना चाहिए? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रवि त्रिपाठी ने तो सोशल मीडिया पर स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि ऐसे अधिकारियों पर बर्खाश्त किया जाना चाहिए निलंबन कोई सजा नहीं है? हालाकि कमिश्रर ने जांच प्रभावित न हो इसको लेकर भी अपने आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा है। वैसे कई ऐसे आरोप हैं जो स्वयं सिद्ध है। उन्हें देखते हुए चयेन्द्र बुड़ेकर पर एफआईआर कराना बहुत मुश्किल काम नहीं होगा? जैसे उन्होंने भुट्टाचोरी वाले तरीके के जो भ्रष्टाचार किए हैं वह सब यह बताते है कि उसमें एफआईआर हो सकती है? बताया गया कि जांच पूरी होने और प्रतिवेदन का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद यदि प्रशासन ने एफआईआर नहीं करवाई तो सामाजिक कार्यकर्ता कोर्ट की शरण भी लेंगे।

- क्या बुड़ेकर पर लगे भर्ती संबंधित आरोपों में उन्हें बर्खाश्त किया जाएगा..?
जिस तरह से एक आंगनवाड़ी सहायिका की भर्ती के मामले में उसकी अंकसूची फर्जी पाई गई। इसके बावजूद उसे बचाने और यथावत पदस्थ रखने के लिए जो तौर तरीका अपनाया गया उसे देखते हुए बड़ा सवाल अब यह है कि क्या चयेन्द्र बुड़ेकर कर बर्खाश्त किया जाएगा या बख्श दिया जायेगा?

- बंद हो चुके फ्यूल पाईंट के बिल लगाकर भुगतान में एफआईआर होगी..?
जिस तरह से आमला में बंद हो चुके एक फ्यूल पाईंट से बिल लगाकर शासकीय भुगतान लिया गया यह एक तरह का खुला फर्जीवाड़ा है। इसी तरह वाहन मेंटनेंस के नाम पर जो भुगतान निकाला गया वह भी खुला फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी है क्या इन मामलों में एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी?

- क्या जांच के नाम पर बुड़ेकर को भी बचने का पूरा मौका दिया जाएगा..?
जिस तरह से दस वर्ष तक बुड़ेकर आमला में तैनात रहा। तमाम आरोपों के बावजूद उसे हटाया नहीं गया, उससे उसकी पकड़ समझ आती है। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या बुड़ेकर को जांच के नाम पर बचने का मौका दिया जाएगा और कार्रवाई का मामला निलंबन तक ही सीमित होकर रह जाएगा?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल, 30 जनवरी 2023