(बैतूल) लोग कहते हैं वैसे हरिराम है तो चोट्टा..? पर उसकी पकड़ है मजबूत..! , - तभी तो ऑडिट रिपोर्ट में तमाम घपले सामने आने के बाद भी है आज तक सुरक्षित..?
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । चांदू सोसायटी के प्रबंधक हरिराम को लेकर लोगों की आम राय यह है कि वह चोट्टा टाईप का व्यक्ति है! जिस तरह से ऑडिट रिपोर्ट में आपत्तियां सामने आई है उससे तो लगता है कि हरिराम को लेकर आम लोगों की राय गलत नहीं है? अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर अफरा-तफरी करने के बाद भी कौन है जो हरिराम को बचा ले रहा है! लगातार वर्षो से हरिराम चांदू सोसायटी में तमाम तरह की गड़बडिय़ां कर रहा है और हर वर्ष होने वाले ऑडिट में इसका खुलासा भी हो रहा है इसके बावजूद भी इसका बाल बांका नहीं हो पा रहा है? यदि उसकी जगह कोई दूसरा होता तो शायद अब तक जेल में हवा खा रहा होता! हरिराम की मजबूत पकड़ के कई फैक्टर है जिसमें बड़ा फैक्टर उसका जातिगत समीकरण और करीबी रिश्तेदारी भी है? जो भी लेकिन कहा जाता है कि हरिराम सहकारिता के क्षेत्र में वो मगरमच्छ कहा जाता है जिसे पकडऩे का कोई जाल ही नहीं बना? यह बातें आम लोगों से चर्चाओं में सामने आ रही है यदि विधिवत जांच हो तो ही स्पष्ट हो पाएगा कि इसमें कितनी सच्चाई है? वैसे अभी तक जो भी आरोप हरिराम पर लगे है उसको लेकर उसने अपना पक्ष अभी तक स्पष्ट नहीं किया है! यदि वह अपना पक्ष जाहिर करेगा तो उसे भी सार्वजनिक किया जाएगा?
- आस्तियों की पहचान न करने का आपत्तिजनक काम भी किया गया...
वर्ष 2014-15 के ऑडिट से ही इस बात का खुलासा हो रहा है कि आलोच्य वर्ष के दौरान संस्था स्तर पर अनुपयोज्य आस्तियों की पहचान न करने का काम नहीं किया गया जो आपत्तिजनक है और न ही इस बाबत कोई कार्रवाई की गई। वहीं समिति स्तर पर जनरल लेजर तैयार कर अंकेक्षण में प्रस्तुत नहीं किया गया! ऐसी स्थिति में वित्तीय पत्रकों का मिलान जनरल लेजर नहीं किया गया जो आपत्तिजनक है?
- संस्था की वित्तीय स्थिति अत्यंत खराब पर हरिराम को फिर भी कोई टेंशन नहीं..!
वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि संस्था की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब है। उसकी संपत्तियों का वास्तविक या परिवर्तित मूल्य ऋणात्मक है। ऐसी स्थिति में समिति अपनी देनदारियों का भुगतान कहां से करेगी यह स्पष्ट नहीं है! ऑडिट में साफ लिखा है कि संस्था के वित्तीय पत्रकों में किसी भी प्रकार की अनियमितत पाए जाने पर संस्था के प्रबंधक और सहायक प्रबंधक ही जिम्मेदार है?
- डेड स्टॉक पंजी ही उपलब्ध न होने से भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया...
वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया है कि डेड स्टॉक की सूची का मिलान डेड स्टॉक पंजी के अभाव में नहीं किया जा सका और न ही भौतिक सत्यापन किया जा सका! डेड स्टॉक सूची का मिलान वास्तविक स्टॉक से किए जाने टूट-फूट सामग्री की सूची बनाकर संचालक मंडल से अनुमोदन करवाने के पश्चात खारिज की कार्रवाई किए जाने का अनुमोदन ऑडिटर ने किया था पर ऐसा नहीं किया गया?
- लोग भले ही हरिाम को चोट्टा कहते हैं पर हम इसका समर्थन नहीं करते...
चांदू सोसायटी क्षेत्र में तथाकथित लोग हरिराम को चोट्टा-चोट्टा पुकारते हैं! हालांकि वे यह बात उसके मुंह पर कहते है या नहीं यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन एक प्रबंधक को चोट्टा कहना अच्छी बात नहीं है और अखबार इस बात का समर्थन भी नहीं करता है। लोगों को भी चाहिए है कि यदि उन्हें हरिराम के कृत्यों से कोई आपत्ति है तो उसकी विधिवत शिकायत करें? मौखिक रूप से उसे चोट्टा न कहें! इससे व्यवस्था में सुधार भी नहीं होगा? वैसे हम भी इस तरह की भाषा का समर्थन करते नहीं है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल , 02 फ़रवरी 2023