(बैतूल) बड़ा सवाल : आखिर डीआर ने चांदू सोसायटी पर परिसमापक क्यों नहीं बैठाया..? - ऑडिट रिपोर्ट में तमाम गोलमाल के बाद भी हरिराम का बाल बांका नहीं..!
बैतूल (हेडलाइन) / नवल वर्मा । चांदू सोसायटी की वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट की अलग-अलग आपत्तियां कई रहस्यों को उजागर कर रही है। यदि इस ऑडिट रिपोर्ट को डीआर ऑफिस में ठीक से फॉलो किया गया होता तो इस चांदू समिति में हरिराम का कब्जा बरकरार नहीं रहता! हरिराम की जगह यहां परिसमापक बैठा होता? अब ऐसा क्यों नहीं हुआ इसका जवाब तो जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक और सहकारिता विभाग के डीआर ही दे सकते है, लेकिन पूरे मामले से तो एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि हरिराम की पहुंच अच्छी है, इसलिए इतनी स्पष्ट ऑडिट रिपोर्ट के बाद भी उसका बाल बांका नहीं हुआ? कहते है कि हरिराम सबको खुश रखने में विश्वास रखता है, इसलिए वह अभी तक सुरक्षित है? अधिकारियों से लेकर मीडिया तक हर स्तर पर भलीभांति हरिराम मैनेज करना जानता है, इसलिए वर्षो से उसका गोलमाल चांदू सोसायटी में चला आ रहा है? फिर भी कभी उसके खिलाफ कोई ठोस मामला सूर्खियों में नहीं आया, क्योंकि उसका मैनेजमेंट तगड़ा बताया गया है!
- कर्ज की राशि भी अलग-अलग रिकार्ड में अलग-अलग आ रही सामने...
वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट से यह सामने आया है कि कर्ज की राशि भी अलग-अलग जगह अलग-अलग आ रही है! यह अपने आप में बड़ा गोलमाल है? जैसे ऑडिटर ने बताया कि संस्था के वित्तीय पत्रकों में दिखाए बैंक ऋण और बैंक शाखा के रिकार्ड के अनुसार संस्था की ऋण राशि में भारी अंतर है! बैंक शाखा प्रमाण पत्र अनुसार राशि 24786020.11 रूपये एवं वित्तीय पत्रकों में देय राशि 41732017.88 रूपये है? जिसका मिलान कर कारण स्पष्ट करने के लिए कहा गया था?
- संस्था के वित्तीय दस्तावेजों में कई मद तर्क संगत ही नजर नहीं आए...
वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया कि संस्था के वित्तीय पत्रकों में अनेक मद तर्क संगत प्रतीत नहीं होते है? ऑडिट में जानकारी लेने पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं होती है! जैसे अनुदान देयक 2430240.85 रूपये, माल प्रेषित खाता देयक 9998709.38 रूपये, एसएचजी ऋण 1146947.97, विविध देनदार 518993.62 रूपये गबन राशि 34805.50 रूपये आदि मदों की स्थिति स्पष्ट नहीं है? जबकि ऑडिटर ने जो जानकारी मांगी उससे भी इन मदों की कोई जानकारी स्पष्ट नहीं हुई ?
- ऑडिट में सामने आया है कि संस्था अत्यधिक वित्तीय नुकसान में है...
वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि संस्था के वित्तीय पत्रकों के अनुसार संस्था अत्यधिक संक्षित हानि में है! संस्था की संक्षित हानि को कम करने के लिए संचालक मंडल कोई कार्रवाई नहीं की गई, न योजना बनाई गई है, जो कि समिति के हितों के विपरित है? समिति के लेन पक्ष में दर्शित लेन राशियों की वसूली हेतु कार्रवाई की जाकर शीघ्र राशि संस्था के बैंक खातों में जमा करने के लिए भी किसी तरह का कोई प्रयास संस्था स्तर पर किसी के द्वारा नहीं किया जाना सामने आया है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल , 03 फ़रवरी 2023