(बैतूल) शिवाजी महान राष्ट्रभक्त और हिन्दुओं के नायक थे : मोहन नागर - भारत भारती में समारोह पूर्वक मनाई शिवाजी जयन्ती
बैतूल (हेडलाइन)/नवल वर्मा। भारत भारती आवासीय विद्यालय में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयन्ती समारोह पूर्वक मनाई गई । विद्या भारती जनजाति शिक्षा के राष्ट्रीय सह संयोजक श्री बुधपाल सिंह ठाकुर, भारत भारती के सचिव मोहन नागर, प्राचार्य गोविन्द कारपेन्टर ने शिवाजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का प्रारम्भ किया । समस्त विद्यालय परिवार ने इस अवसर पर पुष्प अर्पित किए । विद्यार्थियों ने गीतों के माध्यम से शिवाजी के गुणों का बखान किया ।
समारोह को सम्बोधित करते हुए भारत भारती के सचिव मोहन नागर ने कहा कि छत्रपति शिवाजी एक कुशल और बहादुर योद्धा, योग्य शासक, आज्ञाकारी पुत्र और शिष्य थे । शिवाजी का बचपन राजाराम, गोपाल, रामायण, महाभारत की कहानियों तथा संतों के सत्संगों के बीच बीता । जिन्होंने माता जीजाबाई की दी हुई शिक्षा को आत्मसात किया और अपने गुरु समर्थ रामदास की आज्ञानुसार मुगलों का राज्य समाप्त कर हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की ।
इन्होंने शिवाजी के जीवन चरित्र पर विस्तार से बोलते हुए कहा कि शिवाजी निर्भीक, चतुर, धैर्यवान, और कुशल संगठक थे । जिन्होंने बिखरी पड़ी मराठा शक्ति को एकत्रित कर युद्धकला की सभी विधियों द्वारा एक के बाद एक किले जीते और अनेक नये किलों का निर्माण किया । शिवाजी में जहाँ अन्याय से धैर्य और साहस पूर्वक जूझने का सामर्थ्य अफजल खान के वध में देखने को मिलता है वहीं सिंहासन पर गुरु की चरण पादुका रखकर शासन करना उनकी विनम्रता और गुरु के प्रति सम्मान प्रकट करता है ।
शिवाजी की वीरता के बारे में श्री नागर ने विद्यार्थियों को बताया कि शिवाजी ने मुगल आदिलशाही सल्तनत की अधीनता स्वीकार ना करते हुए उससे अनेक युद्ध लड़े । इस कारण शिवाजी को न केवल मराठा अपितु हिन्दूओं का नायक माना जाता है ।
शिवाजी के जीवन में अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के प्रति स्वाभिमान भरा था । उन्होंने फारसी भाषा को हटाकर संस्कृत और मराठी को राजकाज की भाषा बनाया । शिवाजी ने भारत की पहली नौसेना का गठन किया । विदेशों से व्यापार की ऐसी नई नीतियाँ बनाई जिसमे स्वदेश का हित हो। कुशल प्रशासन के लिए शिवाजी ने प्रशासकीय कार्यों में मदद के लिए आठ मंत्रियों का एक मंडल तैयार किया था, जिसे अष्टप्रधान कहा जाता था ।
शिवाजी माँ तुलजा भवानी के उपासक थे । अपनी आराध्य देवी के प्रति उनके मन मे अटूट श्रद्धा और विश्वास था । मान्यता है कि माँ भवानी ने स्वयं प्रकट होकर शिवाजी को तलवार भेंट की थी ।
शिवाजी ने हिन्दवी स्वराज्य बनाया पर उसमे धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं था । हिन्दवी स्वराज्य में सब सुखपूर्वक रहते थे ।
कार्यक्रम का संचालन छात्रावास अधीक्षक जितेन्द्र तिवारी ने किया ।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 19 फ़रवरी 2023