बैतूल/शाहपुर (हेडलाइन) नवल वर्मा / अंकुश मिश्रा। कोयले के अवैध उत्खनन के मामले को प्रशासनिक अमला कुंभकर्णीय नींद में सोए हुए धृतराष्ट्र का रोल अदा कर रहा है, चंद रूपयों के लालच में दर्जनों मजदूर कोयले की अवैध सुरंगनुमा खदानों में अपनी जान हथेली पर रखकर कोल माफियाओं के लिए कोयला निकालने का कार्य कर रहे हैं! वहीं कोयले के अवैध कारोबार में आखिर चांदी कोल माफिया ही काट रहे हैं? इस काम में लगे मजदूरों को तो एक ट्राली कोयला निकालने के बदले महज 6 से 7 हजार रुपए कोल माफिया देते हैं! फिर माफियाओं द्वारा कोयले के अवैध परिवहन कर मोटी रकम कमाते हैं?

- कोयले की सुरंगनुमा खदानों में मजदूरों के साथ पहले घट चुकी है घटना...

इस अवैध कोयले के खनन के दौरान विगत वर्षों में मजदूरों के साथ सुरंगनुमा खदानों में हादसा हो चुका है! एक मजदूर तो विकलांग हो गया है? ग्रामीणों के बीच से चर्चा में यह खबर भी सामने आ रही है कि एक मजदूर तो कोयले में दब गया था जिसे कोल माफियाओं द्वारा बैतूल अस्पताल में छोड़कर भाग निकले थे! लेकिन इन माफियाओं के दबाव के कारण उक्त मजदूर अपना मुंह नहीं खोल पाया था? वहीं सूत्रों ने बताया कि कोयला निकालने के लिए जमीन के अंदर ही अंदर गहरी सुरंग बनाई गई है व सपोट के लिए बल्लियाँ लगाई जाती है और बाईब्रैटर मशीन से कोयला निकाला जा रहा है! बकायदा उक्त खदानों पर लाईट , बैटरी  सहित सभी प्रकार के साधन कोलमाफियाओं द्वारा मजदूरों को मुहैया कराए जाते हैं?


- प्रशासन कोयले की अवैध खदानों पर कर रहा हादसे का इंतजार... 
माफियाओं के खिलाफ सख्त एवम तेजतर्रार आइएएस कलेक्टर अमनवीर सिंह बैंस, पुलिस अधीक्षक सिमाला प्रसाद द्वारा लगातार अपने अधीनस्थ अधिकारियों, कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए जाते हैं कि अवैध माफियाओं को किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जाए। परन्तु विभागीय अधिकारी इन वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह कर रेत व कोल माफियाओं को संरक्षण देने में लगे रहते हैं! सूत्रों ने बताया कि इन माफियाओं द्वारा बकायदा खनिज, राजस्व, पुलिस विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों से तगड़ी साठ - गांठ है। माफियाओं द्वारा इन अधिकारियों की क्षेत्र में टूर के दौरान अपने बंदों से खातिरदारी करवाई जाती है।

- प्रशासन अगर ठान लें तो माफियाओं का किया जा सकता है खात्मा...

शाहपुर व घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में कोल वह रेत माफियाओं ने दौड़ी, टेमरु, मालवर में वर्षों से अवैध कोयला खदानों पर अपना कब्जा जमा रखा है! अगर उक्त खदानों में कोई उतरने की कोशिश करता है? तो वाद विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है! जानकारों ने बताया कि कोयले के अवैध कारोबार में वर्षों से चले आ रहे पुराने माफिया ही सक्रिय हैं? अगर प्रशासन चाहे तो कोयले के अवैध उत्खनन के कर्ताधर्ताओं में से किसी एक पर भी पुलिस  थाना , माइनिंग से पुराने रिकार्ड निकलवाकर रासुका के जैसी कोई कार्यवाही कर नज़ीर पैश करता है तो निश्चित ही अवैध खनन माफिया अंडर ग्राउंड हो जाएंगे।

- इनका कहना...
कोयले के अवैध उत्खनन के मामले को दिखवाता हूं। अगर अवैध रूप से कोयला उत्खनन करते पाए जाएंगे तो कार्यवाही की जायेगी।
 - अनिल सोनी , एस डी एम शाहपुर।