बैतूल(हेडलाइन) / नवल वर्मा । बैतूल शहर में एक रिंग रोड का मामला राजनैतिक रूप से हाईप्रोफाईल हो गया है। चुनावी वर्ष में दोनों पार्टियों के जनप्रतिनिधि इस सडक़ का श्रेय लेने को लेकर अपने-अपने दावे कर रहे है और अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए कागजात भी दिखा रहे है। हालांकि जो स्थितियां है उसमें सीएम का पत्र सांसद के पास होने से थोड़ा उनका दावा मजबूत दिखता है, लेकिन जो इस रिंग रोड की सत्यकथा को जानते है उनका कहना है कि यदि इस रिंग रोड को यदि बजट मिल रहा है तो उसका श्रेय पूरी तरह से कलेक्टर को जाता है और कायदे से उन्हें बधाई मिलना चाहिए। श्रेय लेने वाले पक्ष एक और पक्ष दो के अलावा एक तीसरा पक्ष भी है जो साईलेंट मोड में है और कायदे से इस रिंग रोड का असली फायदा भी उन्हें ही है। जो जानकारी है उसके अनुसार कुछ जागरूक लोगों ने वर्तमान कलेक्टर को कहा था कि यदि आप अपने कार्यकाल में कुछ यादगार करना चाहते है तो इस रिंग रोड को मूर्त रूप देने में अपनी ताकत लगा दे। कलेक्टर ने इसे व्यक्तिगत तौर पर लिया और अपने पूरे एफर्ट लगाए और उसमें ही उन्होंने सांसद से भी पत्र लिखवाया। यदि किसी को इस बात को प्रमाणित रूप से समझना है तो उसे वित्त मंत्रालय और वल्लभ में जाकर छानबीन कर लेना चाहिए।

सवाल: 1: बैतूल में उग आई अवैध कालोनियों और उसमें प्रबंधन के खेल को लेकर कब श्रेय लेंगे वोट से चुने जाने वाले श्रेय कुमार...
बैतूल में अवैध कालोनियों की बाढ़ आई हुई है जिला मुख्यालय और आसपास में दर्जनों अवैध कालोनियां है जिन्हें प्रबंधन में डालने और निकालने में ही जो कुछ होता है वह किसी से छिपा नहीं है। इन अवैध कालोनियों के कारण लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है, बिजली कनेक्शन और बैंक से लोन नहीं मिलता है फिर भी श्रेय कुमार दोनों माननीय मौन रहते है?

सवाल: 2: शहर के प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम हाथी नाले में बहुचर्चित अतिक्रमण को लेकर आखिर यह श्रेय कुमार क्यों साधे रहते है चुप्पी...
शहर में प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम हाथी नाले को माना जाता है। जिला मुख्यालय के विधायक और सांसद दोनों ही हमेशा इस मामले को लेकर बिल्कुल चुप्पी साधे रहते है! एक शब्द भी नहीं बोलते? लोगों का कहना है कि हर स्तर पर इस पर अतिक्रमण हुआ है और सबको जगजाहिर है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति और व्यक्तिगत लाभ-हानि के चलते मुंह नहीं खोला जाता?

सवाल: 3: सूदखोरों की लूट खसौैट को लेकर कभी भी न तो सांसद ने कुछ कहा और न ही कभी विधायक इस मामले में कुछ बोलते हैं...
जिला मुख्यालय पर सूदखोरी का जो खेल है वह भी गजब है। अभी कुछ दिनों पहले एक युवक द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में शहर के लगभग एक दर्जन सूदखोरों के नाम सामने आए थे, लेकिन कार्रवाई क्या हुई क्या नहीं? इस पर किसी जनप्रतिनिधि ने कभी बोलने की हिमाकत नहीं की! चैक बाउंस के मामलों को यदि चैक करा ले तो सारे सूदखोर वैसे ही बेनकाब हो जाए?
नवल वर्मा हेडलाइन 06 मार्च 2023