बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। शहर से लगी माचना के किनारे करबला के पास बनाई जा रही तथाकथित फाईव स्टार कालोनी को प्रबंधन मुक्त किए जाने में जिस तरह से सवाल उठ रहे है वह गंभीर प्रकृति के हैं?दबी जुबान में ऑफ द रिकार्ड यह भी चर्चा है कि सवाल सात पेटी का है और इसी चक्कर में फाईव स्टार को प्रबंधन मुक्त कर दिया गया?  इस कालोनी के खिलाफ जो एफआईआर का आदेश था उस आदेश का भी कोई उचित निराकरण किए बगैर यह सब कार्रवाई की गई है! जिससे एक्सपर्ट का मानना है कि प्रबंधन मुक्त किए जाने की पूरी प्रक्रिया और आदेश ही दूषित की श्रेणी में आता है?  पूरे आदेश को पढऩे के बाद स्पष्ट नजर आता है कि कालोनी को येनकेन प्रकारेन प्रबंधन मुक्त किए जाना था! जबकि उक्त कालोनी के खिलाफ एफआईआर के आदेश पर एक्शन लिए जाने के लिए जनसुनवाई में एडीएम द्वारा स्पष्ट रूप से एसडीएम बैतूल को लिखा गया था? इसकी भी खुली अनदेखी की गई? कुल मिलाकर जो सात पेटी के आरोप लग रहे है उसको इन स्थितियों के कारण बल मिलता नजर आ रहा है? ऐसे में अब फिर कुछ और कालोनियों को प्रबंधन में डालने की तैयारी है उससे यह आरोप लग रहा है कि कालोनियों को प्रबंधन में डालो और फिर निकालो का खेल भी प्रशासनिक सिस्टम में फायदे का सौदा है।

- अनुमति लेने की प्रत्याशा में अवैध कालोनी को एसडीएम साहब ने कर दिया प्रबंधन मुक्त...
जो प्रबंधन मुक्त किए जाने का आदेश है उसमें ही यह फैक्ट स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि कार्यालय सहायक संचालक ग्राम शहर एवं ग्राम निवेश जिला कार्यालय बैतूल मप्र के पत्र क्रमांक 256/भू.ऊ./ प्रबंधन/नग्रानि/2022 बैतूल दिनांक 28/6/2022 का पत्र अनुसार उल्लेखित भूमि पर इस कार्यालय द्वारा अभिमत अनुमोदित नहीं किया गया है। इस संबंध में नियमानुसार कार्रवाई भूमि विकास नियम 2012 एवं बैतूल विकास योजना 2035 योजना के प्रावधानों का ध्यान रखा जाना उचित होगा ऐसा प्रतिवेदित किया है? तदानुसार कालोनाईजर कार्यालय सहायक संचालक शहर एवं ग्राम निवेश बैतूल से आवश्यक रूप से अनुमति लेगा।

- प्रबंधन मुक्त के आदेश में कालोनी की भूमि के ग्रीन बेल्ट में होने या उससे मुक्त होने का कोई उल्लेख नहीं...
तथाकथित फाईव स्टार कालोनी में मौजा पटवारी हल्का नंबर 33 में खसरा नं 14/2, 15/2 कुल रकबा 2.369 हेक्टेयर के मद का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। कहा जाता है कि यह जमीन ग्रीन बेल्ट में आती है। अब ऐसी स्थिति में यह जमीन कब ग्रीन बेल्ट से मुक्त हुई और कैसे मुक्त हो गई, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी प्रबंधन मुक्त किए जाने के आदेश में नहीं की गई है? ऐसी स्थिति में जो इस जमीन का मद व्यवसायिक और आवासीय बताया जा रहा है वह कैसे हुआ और क्यों हुआ वह भी अपने आप में बड़ा सवाल है और गहन जांच का विषय है? जब टीएनसीपी ने अपना अभिमत नहीं दिया तो फिर ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या प्रबंधन में आने के बाद या पहले ही इसका मद बदला गया था? यह भी एक जांच का विषय है कि जमीन का मद कैसे बदला?

- अवैध कालोनाईजर द्वारा बेचे गए 48 प्लॉटों का नामांतरण आखिर कैसे राजस्व रिकार्ड में हो गया...
जो प्रबंधन मुक्त किए जाने का आदेश है उसमें बताया गया है कि 48 प्लॉट कालोनाईजर द्वारा बेचे जा चुके है और उसका नामांतरण भी राजस्व रिकार्ड में हो चुका है। अब जो शेष रकबे बचे है रकबे की जानकारी के लिए तहसीलदार और पटवारी को अभिलेख अद्यतन के निर्देश हैं?
नवल वर्मा हेडलाइन 11 मार्च 2023