(बैतूल) कलेक्टर एक बार प्रबंधन मुक्त के आदेश का रिवीजन करायें ? , - नक्शा तक अनुमोदित नहीं फिर भी फाईव स्टार को किया प्रबंधन मुक्त!
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। फाईव स्टार कालोनी को एसडीएम केसी परते द्वारा प्रबंधन मुक्त किए जाने का आदेश ही कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है? पूरे मामले में कई तरह के आरोप भी दबी जुबान में लग रहे है! यदि कलेक्टर किसी एक्सपर्ट से प्रबंधन मुक्त किए जाने के आदेश का रिवीजन करवा लें तो उन्हें स्वयं समझ आ जाएगा कि पूरे मामले में कितना बड़ा झोलझाल है? प्रबंधन मुक्त किए जाने के आदेश में स्वयं एसडीएम लिख रहे है कि कालोनाईजर द्वारा कालोनी का अभिविन्यास अनुमोदित करवाया है और न ही आवश्यक 25 प्रतिशत भूखंड बंधक रखे गए है! इस बात से स्पष्ट होता है कि उक्त कालोनाईजर को प्रबंधन मुक्त करने की जगह उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी? उक्त कालोनी प्रबंधन में रहने के बावजूद भी पूर्व एसडीएम रीता डहेरिया के कार्यकाल में वहां निर्माण कार्य करने की अघोषित अनुमति प्रदान की गई थी। जबकि यह नियम विरूद्ध है? अब यह कैसा हुआ इसकी अलग से जांच हो तो प्रबंधन में एसडीएम किस तरह का खेल दिखाते है यह स्पष्ट हो जाएगा।
- एफआईआर दर्ज न किया जाना ही जिम्मेदार अफसरों की नियत पर सवाल खड़े करता है...
पूर्व एसडीएम सीएल चनाप द्वारा एफआईआर के निर्देश दिए जाने के बावजूद भी फाईव स्टार कालोनी के कालोनाईजरों पर एफआईआर दर्ज न किया जाना और इस मामले में पूर्व एसडीएम रीता डहेरिया द्वारा खुली अनदेखी की जाना ही सवाल खड़े करती है? आश्चर्यजनक बात यह है कि उक्त कालोनाईजर के खिलाफ कलेक्टर द्वारा अवैध कालोनाईजिंग में आदेश के बावजूद एफआईआर नहीं की गई।
- जब नक्शा अनुमोदित नहीं है! और भूखंड भी बंधक नहीं? रखे जाना जिम्मेदार अफसरों पर सवाल है...
जब कालोनी अवैध घोषित हो गई और उसे प्रबंधन में ले लिया गया। इस दौरान यह भी स्पष्ट हो गया था कि कालोनी के पास किसी भी तरह का नक्शा अनुमोदित नहीं है। उसके पास टीएनसीपी की अनुमतियां नही है। इसके बावजूद भी 25 प्रतिशत प्लॉट बंधक नहीं रखे गए। यह सब बताता है कि पूरे मामले को डील करने वाले तीनों एसडीएम ने किस भावना और किस नियत के तहत यह सब अनदेखियां की है।
- इस तरह की कालोनी को प्रबंधन मुक्त किया जाना ही कलेक्टर की मंशा पर सवाल करता है खड़े...
जिस तरह से एसडीएम ने इस कालोनी को प्रबंधन मुक्त किया है उसमें कलेक्टर की अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जो मंशा है उस पर गंभीर सवाल खड़े होते है? अब पुन: कई कालोनियों को प्रबंधन में लेने की तैयारी है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होगा कि जब इसी तरह से प्रबंधन मुक्त किया जाना ही है तो कालोनियों को प्रबंधन में लेने का क्या औचित्य है? इसलिए अब कलेक्टर को ही इस पूरे मामले में रिवीजन कराना चाहिए।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 15 मार्च 2023