(बैतूल) आउटसोर्स कंपनी को लेकर कलेक्टर से शिकायत , - स्वास्थ्य विभाग के डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने अब लगाई गुहार, बहुत हुआ प्रथम का अत्याचार
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । आउटसोर्स के रूप में कार्यरत स्वास्थ्य विभाग के डाटा एंट्री ऑपरेटर्स ने आउट सोर्स कंपनी प्रथम नेशनल सिक्योरिटी इंदौर को लेकर कलेक्टर से एक लिखित शिकायत की है। जिसमें उन्होंने बताया है कि आउटसोर्स कंपनियों के माध्यम से विभिन्न शासकीय संस्थाओं में सेवाएं ली जा रही है। इन सेवाओं के लिए जो कर्मचारी लगाए गए हैं उनका खुला शोषण हो रहा है। न उनके भविष्य की कोई सुरक्षा है और न ही पर्याप्त वेतन दिया जा रहा है। जिन विभागों में आउटसोर्स कर्मचारी काम कर रहे हैं वहां के अधिकारी भी कंपनी के शोषण को लेकर चुप्पी साधे रहते हैं। कुछ नहीं कहते। हालत यह है कि तीन-तीन, चार-चार महीने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान भी नहीं किया जाता है। ऐसा ही कुछ जिला अस्पताल में देखने में आ रहा है जहां पर पीआईसीयू और आईसीयू में आउटसोर्स कंपनी के तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनका पिछले अप्रैल से लगातार शोषण हो रहा है, लेकिन सिविल सर्जन या सीएमएचओ इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे है। यह कर्मचारी इसलिए कुछ नहीं कह पाते कि यदि उन्होंने कुछ कहा तो उन्हें भगा दिया जाएगा। कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने कहा कि जितना मिल रहा है उसमें चुपचाप काम करो नहीं तो इससे सस्ते में भी और लोग मिल रहे है।
- ईपीएफ की राशि जमा करने में भी अनियिमतता...
कलेक्टर को जो शिकायत की गई है उसमें बताया गया कि जबसे कंपनी को ठेका मिला है तबसे किसी के खाते में पांच माह की तो किसी के खाते में एक दो माह छोडक़र राशि जमा की गई है तो किसी के खाते में एक भी माह की ईपीएफ की किश्त जमा नहीं की गई है, किसी-किसी के खाते में अप्रैल 2022 से कोई किश्त जमा नहीं हुई।
- परिवार पालना हो रहा है इस स्थिति में मुश्किल...
समस्त आउट सोर्स डाटा एंट्री ऑपरेटर का कहना है कि विगत कई वर्षो से वे स्वास्थ्य विभाग में आउट सोर्स के रूप में सेवाएं देते आ रहे है, लेकिन न उन्हें सम्मानजनक वेतन मिल रहा है और न ही किसी प्रकार की कोई सुविधा मिल रही है। जबकि डाटा एंट्री ऑपरेटर के तौर पर उनसे सरकार की योजनाओं का काम करवाया जा रहा है।
- तीन-तीन माह के अंतराल में भुगतान...
प्रथम कंपनी द्वारा अप्रैल माह से जिला अस्पताल में सेवाएं दी जा रही है। इन सेवाओं में पहले चार महीने में एक माह का वेतन दिया गया फिर बीच एक माह का वेतन दिया गया। फिर अब जाकर तीन माह का वेतन दिया गया, लेकिन तीन माह का बकाया चल रहा है।
- मानदेय भी एक हजार रूपये कम...
प्रथम कंपनी द्वारा 7 हजार 200 रूपये मानदेय दिया जा रहा है। जबकि इसके पहले जो कंपनी यहां पर सेवाएं दे रही थी वह आउटसोर्स कर्मचारियों को 8 हजार रूपये से ज्यादा वेतन देती थी। कम वेतन पर भी कर्मचारी विरोध दर्ज नहीं करा पा रहे है।
- कलेक्ट्रेट रेट में भी भुगतान नहीं...
जो आउटसोर्स कंपनियां है वे कलेक्टर रेट वाले नियम का भी पालन नहीं कर रही है। उसमें भी कुशल और अर्धकुशल और अकुशल के आधार पर भुगतान होना चाहिए पर जिले का श्रम विभाग इस तरफ कभी कोई ध्यान ही नहीं देता है और न ही कोई जांच करता है।
नवल वर्मा हेडलाइन 16 मार्च 2023