(बैतूल) जिला अस्पताल का सीजर वार्ड वसूली सेंटर के कलंक से मुक्त नहीं , - जिला पंचायत सीईओ की कसरत दिखावा रही, सीजर में वसूली जारी
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। सितम्बर माह में जिला अस्पताल में समय पर सीजर न होने के कारण एक महिला की मौत के मामले में मचे बवाल और डॉ वंदना धाकड़ पर लगे आरोपों के बाद कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ अभिलाष मिश्रा के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स बनाया था। इस टास्क फोर्स में जांच के नाम पर जिला अस्पताल में तीन-चार दिन भारी कसरत करना दिखाया और यह जताने की कोशिश की अब इसके बाद जिला अस्पताल के प्रसूूति वार्ड में होने वाली 5 हजार की वसूली बंद हो जाएगी। इतना सब होने के बावजूद भी कुछ दिनों तक तो जिला अस्पताल में खामोशी छाई रही। फिर प्रसूताओं को सीरियस होने और रेफर करने का डर दिखाकर फिर से 5 हजार रूपये वसूली का खेल शुरू हो गया जो पहले की तरह ही चलने लगा है। ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगों के साथ यहां पर सीजर के नाम पर खुली वसूली होती है। यह किसी से दबा छिपा नहीं है। पूरे मामले में यदि जिला अस्पताल में होने वाले सीजर ऑपरेशन की जांच करा ली जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि प्रसूति वार्ड में सीजर के मामले में कोई भी दूध का धूला नहीं है।
ठोस कार्रवाई न होने की वजह से वसूली पर नहीं लग पाएगी कभी रोक
जिला अस्पताल की स्थिति को जानने वालों का कहना है कि जो डॉक्टर वसूली के मामले में एक्सपोज होते है उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती उनके बचने के रास्ते निकाल दिए जाते है। जैसा डॉ कृष्णा मौसिक के मामले में सामने आया। इसमें प्रमाण, साक्ष्य सबकुछ होने के बावजूद भी डॉ मौसिक पर कायदे से कदाचरण में एफआईआर नहीं कराई गई। जबकि उक्त मामले में बिल्कुल स्पष्ट था कि डॉ मौसिक ने ही नर्स के माध्यम से वसूली की थी।
हर बार जांच के नाम पर डॉक्टरों को बचाने की ही कोशिश की जाती है
जिला अस्पताल में जब भी किसी डॉक्टर पर मरीजों से पैसे दबाव बनाकर पैसे वसूलने जैसे आरोप लगते है तो जांच होती है और जांच के बाद कभी कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आती। जो पुराने उदाहरण है उनके आधार पर यह नजर आता है कि जांच के नाम पर केवल बचाया जाता है। जैसे डॉ प्रदीप धाकड़ पर ऑपरेशन में पैसे वसूलने के आरोप लगे। हंगामा मचा, जांच कराई गई। इसके बावजूद उस जांच पर आज तक क्या हुआ किसी को ज्ञात ही नहीं है।
डॉक्टरों की कमी का रोना रोकर हमेशा कार्रवाई से बचा लिया जाता है
जिला अस्पताल सहित सरकारी सिस्टम में डॉक्टरों की कमी का हवाला देकर डॉक्टरों की मनमानी और बेईमानी को दबाया जाता है। यही वजह है कि जब भी डॉक्टरों पर कोई आरोप लगते है या उनकी कोई शिकायतें होती है तो मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया जाता है। वहीं यदि नर्सिंग स्टॉफ या अन्य कर्मचारी की शिकायत होती है तो तत्काल कार्रवाई होती है। जैसे अभी हाल ही में एक बच्चे की मौत में एक नर्स पर जांच के बाद कार्रवाई की गई।
मौखिक शिकायतों को तो अनसुना कर टाल दिया जाता है
15 मार्च 2023 को जिस प्रसूता से 5 हजार रूपये वसूल करने के बाद सीजर किया गया। उसके परिजनों ने भी सीएस को पूरे मामले की जानकारी दी थी, लेकिन उस मामले में भी सीएस ने कोई कदम नहीं उठाया। अप्रैल 2022 में प्रसूता से सीजर के 5 हजार रूपये लेने के मामले में प्रसूता के पति विक्की धोटे ने मौखिक रूप से तात्कालिन सीएमएचओ डॉ तिवारी को शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने भी उनके मामले में डॉ मौसिक की तरह कोई अलग से जांच कराना ही जरूरी नहीं समझा।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 17 अप्रैल 2023