(बैतूल) सोनाघाटी की चढ़ाई चढ़कर सैंकड़ों श्रमदानियों ने दिया हजारों पौधों को पानी, - एक दशक में हरियाली की चादर ओढ़ लहलहा उठी बैतूल की सोनाघाटी
- इस तरह मनाया विश्व पृथ्वी दिवस
बैतूल (हेडलाइन)/नवल वर्मा। अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस पर गंगावतरण अभियान के दो सौ से अधिक श्रमदानियों ने सोनाघाटी की सौ फुट से अधिक ऊँची पहाड़ी पर आधा किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर पहाड़ी पर गंगावतरण अभियान के तहत लगाये गये पौधों को पानी देकर विश्व_पृथ्वी_दिवस मनाया । आज शनिवार को प्रातः छः बजे से 8 बजे तक पानी के टैंकर से छोटी कुप्पियाँ, डब्बे, बाल्टियाँ भरकर कंधों पर लादकर श्रमदानियों ने पहाड़ी पर लहलहा रहे सैंकड़ों पौधों को पानी दिया, पौधों की क्यारियां बनाई, खंतियाँ खोदी व पुरानी खंतियों का गहरीकरण किया ।
सैंकड़ों-हजारों श्रमदानियों की सात-आठ वर्षों की निरन्तर साधना से सोनाघाटी हरी-भरी हो रही है । यहाँ कुछ वर्षों बाद दादा भवानीप्रसाद मिश्र की कविता पुनः चरितार्थ होगी "सतपुड़ा के घने जंगल, ऊँघते अनमने जंगल...।
पृथ्वी दिवस पर आयोजित विशेष आयोजन में विद्या भारती जनजाति शिक्षा, भारत भारती शिक्षा समिति, सतपुड़ा समग्र जन कल्याण समिति सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान, भारत भारती आईटीआई सहित विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने सहभाग किया ।
इस अवसर पर गंगावतरण अभियान के संयोजक मोहन नागर ने कहा कि आज पृथ्वी दिवस पर दुनियाँ भर में अनेक सेमिनार होंगे । घटते भूजल स्तर व धरती के बढ़ते तापमान पर सभी चिंतित हैं । किन्तु इसका उपाय केवल एक है वर्षाजल को रोककर धरती को हरी-भरी करना । भारतीय संस्कृति में धरती को माता कहा है । अतः माता की सेवा करना उनकी संतानो का कर्त्तव्य है । पिछले सात-आठ वर्षों में हजारों श्रमदानियों के पसीने से सोनाघाटी फिर से लहलहा उठी है । 2016-17 में प्रारम्भ हुए इस अभियान में अभी तक जनभागीदारी से दस हजार से अधिक खंतियाँ खोदकर उनके सामने पौधारोपण किया जा चुका है । साथ ही तथा पहाड़ी पर उगे हजारों प्राकृतिक पौधों के निरन्तर संरक्षण से गर्मी के दिनों में ही पहाड़ी पर हरियाली छा गई है । उन्होंने कहा कि सोनाघाटी पर हुए इस सफल प्रयोग से विद्या भारती जनजाति शिक्षा के कार्यकर्ताओं ने आजादी के अमृत काल मे बैतूल जिले की 75 सूखी पहाड़ियों पर जनभागीदारी से कार्य प्रारम्भ किया है ।
आज के श्रमदान में प्रमुख रूप से बुधपाल सिंह ठाकुर, नागोराव सिरसाम, जितेन्द्र तिवारी, विकास विश्वास, राजेश वर्टी, बाजीराम यादव, अनिल उइके, मिथिलेश कवड़े, साहेबलाल यादव, संजू कवड़े , जोधा कुमार धुर्वे, साबू कुमरे, रामसिंह गजाम, जमदूसिंग आहके , मानिक कुमरे, लखन नागले, कैलाश यादव , सोमलाल बारस्कर, सुंदर इवने, झूलन नवड़े, सुरजलाल धुर्वे, नंदराम पांसे, सुग्रीव टीकू, सुशील कास्दे, श्रीराम सिरसाम, दिनेश यादव, रोशन का कोड़ीया, धर्मदास बड़ोदे, श्रीमती पुष्पा वटके, श्रीमती सुशीला यादव, सुश्री रोशनी उईके, सुश्री दीपिका सरियाम सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के श्रमदानियों ने सहभागिता की।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 22 अप्रैल 2023