बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। बैतूल में मुरम का खनन और कारोबार करने वाले दो ही कारोबारी है? इनके पास खनन को लेकर कोई खदान या किसी जमीन पर अनुमति नहीं है, लेकिन इसके बावजूद यह पूरे शहर में प्रायवेट और सरकारी दोनों कामों में बेधडक़ मुरम उपलब्ध कराते है! इनके द्वारा अवैध खनन किया जाना खनिज विभाग की ही जानकारी में है? खनिज विभाग को भी पता है कि यह दोनों मुरम खनन वाले एक तरह के माफिया ही है, जो सोनाघाटी और उसके आसपास खनन कर रहे है और पहाडिय़ों को बर्बाद कर रहे है? इतना सब जानने के बाद भी खनिज विभाग इनके खिलाफ कोई ठोस एक्शन नहीं लेता है! इस माफिया के कर्ताधर्ताओं को खनिज विभाग में उठते-बैठते भी देखा गया है? साफ तौर पर कहा जाता है कि रानीपुर रोड वाला माफिया खनन कर रहा होगा या आर्यपुरा वाला माफिया मुरम का खनन कर रहा होगा? शहर में इन दोनों के अलावा किसी तीसरे का नाम मुरम की सप्लाई और खनन में लिया ही नहीं जाता है! ये कहां खनन करते है और कब करते है और कैसे करते है यह भी सब जगजाहिर है इसके बावजूद इनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाता है। जबकि ये पहाड़ के पहाड़ जीम रहे है। शहर में जागरूक लोगों का मानना है कि सोनाघाटी की पहाडिय़ों से खिलवाड़ महंगा पड़ेगा।

- जानबूझकर की जाती है अनदेखी...
वरिष्ठ पत्रकार आनंद सोनी का कहना है कि शहर से लगे क्षेत्र में जो मुरम का अवैध खनन हो रहा है। यह सर्वविदित है कि कौन करा रहा है। खनिज विभाग अच्छे से जानता है, लेकिन इसके बाद भी इनके खिलाफ एक्शन नहीं लेता।

- माफियाओं के रहते है हौंसले बुलंद ...
वरिष्ठ अधिवक्ता आकाश शुक्ला का कहना है कि अवैध खनन के मामले में जो एक्शन खनिज विभाग को लेना चाहिए वह लिया नहीं जाता। कुल मिलाकर खानापूर्ति होती है, इसलिए अवैध खनन करने वालों के हौंसले बुलंद रहते है।

- साहब के पास तो टाईम ही नहीं है...
वरिष्ठ अधिवक्ता भारत सेन का कहना है कि वर्तमान प्रभारी खनिज अधिकारी के पास बढिय़ा तर्क है कि मुझे टाईम ही नहीं मिलता, इतनी कागजी कार्रवाई में उलझा हूं। जब टाईम मिलेगा तब ही पकड़ पाउंगा। इसलिए कुछ होना जाना नहीं है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 03 जून 2023