(बैतूल) पंचायतों में भुगतान न मिलने पर जनसुनवाई में आ रहे वेंडर , - पुराने की सीसी नहीं हो रही जारी इसलिए नए में रूका है भुगतान
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। पंचायती राज में अजीबो गरीब स्थितियां सामने आ रही है। अमृत सरोवर जैसी योजनाओं में ट्रेक्टर आदि लगाने वालों का भुगतान नहीं किया जा रहा है। वे जनसुनवाई में आकर फरियाद कर रहे है तो उन्हें बताया जा रहा है कि 2020-21 के पहले तक की पेंडेंसी निपटने के बाद ही भुगतान हो पायेगा। बताया गया कि 2020-21 के पहले के करीब 500 कामों का सीसी जारी होना बाकी बताया जा रहा है। हालांकि यह अधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन जिस तरह से वर्ष 2021-22 और 2022-23 के भुगतान रोके जा रहे है, उसके बाद यह बात सामने आ रही है कि बड़े पैमाने पर पुराने निर्माण कार्य में सीसी न जारी होने से वे पोर्टल पर अधूरे नजर आ रहे है और इसलिए नए कामों का भी भुगतान अटक रहा है, क्योंकि जो शासन की पॉलिसी है उसमें पुराने कामों का निपटारा करने के बाद नए कामों का भुगतान होगा। इसलिए यह स्थिति सामने आ रही है। जिन लोगों ने अमृत सरोवर जैसी योजनाओं में वेंडर का काम किया है वे लोग भुगतान के लिए यहां-वहां भटक रहे है और उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं दिया जा रहा है। वजह जो भी हो, लेकिन इससे प्रोग्रेस पर भी असर पड़ रहा है।
- 13 जून की जनसुनवाई में सेलगांव से आए अपना भुगतान मांगने...
ग्राम पंचायत सेलगांव से आए ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने 8 माह तक आरईएस द्वारा चैनसिह मड्डा के खेत के पास बनाए जा रहे अमृत सरोवर में काम किया है। जिनमें योगेश उपासे का 60 हजार रूपए, राहुल का 49 हजार रूपए, बुधराव का 70 हजार रूपए, धन्यवाद कुमार 45 हजार रूपए, शैलेन्द्र का 55 हजार रूपए, दिनेश का 51 हजार रूपए ट्रेक्टर का बाकी है। वहीं सुदामा में जेसीबी, ट्रेक्टर और टैंकर का 2 लाख 5 हजार बाकी बताया गया है। उनका कहना है कि उनके द्वारा जून 2022 तक काम किया गया, लेकिन आरईएस द्वारा भुगतान नहीं किया गया।
- 20 जून को भी जनवाई में कुटकुही से निर्माण का भुगतान मांगने आए...
चिचोली जनपद अंतर्गत फोंगरया मंडई निवासी बबलू यादव ने अपनी शिकायत में बताया कि ग्राम कुटकुही के सचिव भवानी यादव एवं सरपंच सुंदर मरकाम द्वारा 2022-23 में अप्रैल-मई में मनरेगा योजना में तालाब गहरीकरण में उसकी जेसीबी और ट्रेक्टर का उपयोग किया था, जिसका भुगतान सरपंच, सचिव द्वारा नहीं किया जा रहा है। वहीं उसने यह भी बताया कि सेलगांव के अमृत सरोवर में भी उसने पोकलेन मशीन एवं डम्पर से काम किया था, लेकिन वहां भी पिछले एक वर्ष से उसे भुगतान नहीं किया जा रहा है। कई बार आवेदन देने के बाद भी भुगतान नहीं दे रहे।
- सूत्र... कुछ इंजीनियर्स ने जेब से किया भुगतान...
इधर प्रोग्रेस के लिए प्रेशर के दबाव में कुछ माह पहले यह सामने आया था कि इंजीनियर्स ने अपने जेब से भुगतान किया था! वेंडर्स और मशीन वाले भुगतान न मिलने के कारण जान खा रहे थे और काम नहीं कर रहे थे, ऐसी स्थिति में प्रोग्रेस के लिए जेब से भी भुगतान करना पड़ा था! क्योंकि साहब ने बोल दिया मुझे कोई मतलब नहीं मुझे प्रोग्रेस चाहिए?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 21 जून 2023