(बैतूल) अलग-अलग जनपद और एसडीएम के पास लंबित है कई अपील, - कमलनाथ सरकार के नया सवेरा के चक्कर में उलझा संबल का अनुग्रह
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 2018 चुनाव के पहले संबल योजना लागू की थी। इसमें बहुतायात में पंजीयन किया गया था। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह था कि परिवार के मुखिया की मृत्यु के उपरांत दुर्घटना में 4 लाख और सामान्य मृत्यु में 2 लाख रूपए की आर्थिक सहायता अनुग्रह के रूप में मिलती है। विधानसभा चुनाव के बाद जब कमलनाथ की सरकार बनी तो उन्होंने संबल को नया सवेरा नाम दिया और इसके बाद इसमें सत्यापन करवाया जिसमें बहुतायात में लोगों को योजना से अपात्र कर दिया गया। लोगों के यहां मृत्यु होने पर उन्हें अनुग्रह सहायता नहीं मिल रही है। उस समय जिन लोगों को अपात्र किया गया था वह आज भी अनुग्रह की राशि के लिए यहां-वहां भटकते नजर आते है। जिन्हें सहीं तरीका या रास्ता समझ आ जाता है वे अपील में चले जाते है, बाकी धक्के खाते नजर आते है। हालात यह है कि संबल योजना में जब नया सवेरा के तहत सत्यापन किया गया तो जीवित व्यक्ति को मृतक बना दिया गया, जिसकी वजह से संबल का लाभ नहीं मिला। जिस पैमाने पर कमलनाथ सरकार ने सत्यापन के नाम पर एक तरफा लोगों को योजना में अपात्र किया गया, उसे देखते हुए यह माना जाता है कि इसमें जिन लोगों को एकतरफा बाहर किया गया था उनका पुन: सत्यापन होना चाहिए और यदि वह पात्र पाए जाते है तो उन्हें फिर से जोड़ा जाना चाहिए। यदि उनके परिवार में मुखिया की इस दौरान मृत्यु होती है तो उसे कायदे से अनुग्रह राशि दी जाना चाहिए। इसके लिए हितग्राही को भटकरने से बचाना चाहिए। खैर हो नहीं रहा है और न ही होगा पर यह स्पष्ट है कि लोग पात्र होने के बाद भी गलत तरीके से अपात्र किए जाने के कारण परेशान है और वे अभी भी सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे है, क्योंकि गरीब व्यक्ति के लिए दो लाख रूपए या 4 लाख रूपए बड़ी रकम है।
- उदाहरण 01 : - नया सवेरा सत्यापन में अन्य कार्य में नियोजित बताकर संबल में कर दिया था अपात्र...
घोड़ाडोंगरी जनपद के टेमरूपुरा निवासी बदामीलाल यादव की पत्नि सेवंती यादव की मृत्यु 5 अगस्त 2022 को हुई। तब उन्हें ज्ञात हुआ कि उनकी पत्नि के नाम से 2018 में संबल योजना का पंजीयन था वह निरस्त हो गया है। खोजबीन करने पर यह सामने आया कि 2018 में जो सत्यापन हुआ था उन्हें अन्य कार्य में नियोजित बताकर अपात्र किया गया था। इस मामले में अपील करने के बाद एसडीएम शाहपुर ने 25 मई को उन्हें पात्र माना है।
- उदाहरण 02 : - पांच वर्ष से भाई की मृत्यु में अनुग्रह के लिए भटक रहा पर कोई जवाब नहीं दे रहा...
घोड़ाडोंगरी जनपद के जुवाड़ी निवासी राजेश आहके भी संबल में अनुग्रह राशि के लिए भटक रहे है। उन्होंने बताया कि उनके छोटे भाई बंसत आहके की 15 जुलाई 2018 में करंट लगने से मौत हो गई थी। जिसके अनुग्रह राशि के लिए उसने जनपद पंचायत और पंचायत में आवेदन दिया, लेकिन आज तक राशि नहीं दी गई है। उसका कहना है कि पंचायत वाले कहते है कि पूर्व में जो सत्यापन हुआ था उसमें अपात्र कर दिए गए थे।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 22 जून 2023