(बैतूल) जिले में हो चुकी 54 फीसदी बोवनी फिर भी नहीं आई सेम्पल रिपोर्ट , - सबसे ज्यादा टारगेट भी बैतूल का और सबसे कम सेम्पलिंग भी है बैतूल की
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। पिछले दो दिन से मौसम खुलने के साथ ही बोवनी में तेजी आ गई है और कृषि विभाग के आंकड़े बताते है कि करीब-करीब 56 से 60 फीसदी तक बोवनी हो चुकी है। वहीं देखा जाए तो इस हफ्ते में जो खाद में जांच सेम्पलिंग के आंकड़े है वह यह बताते है कि खाद में सर्वाधिक सेम्पलिंग का टारगेट बैतूल जिले का ही है, लेकिन हालत यह है कि सेम्पलिंग के मामले में बैतूल संभाग के अन्य दो जिलों से पीछे है। जिस तरह से बोवनी में डीएपी खाद शुरूआत में ही लगती है, उसे देखते हुए सेम्पलिंग का यह आंकड़ा कम होना और अभी तक खाद के मामले में सेम्पल रिपोर्ट न आना यह संदेह पैदा करता है कि किसान बेावनी में बीज के साथ-साथ संदिग्ध खाद का उपयोग कर रहे है।
- 340 में से मात्र 54 सेम्पल लिए...
नर्मदापुरम संभाग के अंतर्गत तीनों जिलों को खाद की सेम्पलिंग के लिए जो टारगेट है, उसमें हरदा को 170 सेम्पल, होशंगाबाद को 240 और बैतूल को 340 सेम्पल का टारगेट है। इस टारगेट में से बैतूल ने 54, हरदा ने 52 और नर्मदापुरम ने 66 सेम्पल लिए है। यह आंकड़ा बताता है कि सेम्पल लेने में बहुत सुस्ती बरती जा रही है।
- बीज में भी नहीं आई अभी तक रिपोर्ट...
बताया गया कि खरीफ सीजन के लिए बीज में जो सेम्पल का टारगेट था उसमें भी अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट लेट होने का कारण सेम्पलिंग लेट होना भी है। बताया गया कि बैतूल को 320 सेम्पल का टारगेट था, जिसमें 170 सेम्पल लिए गए थे, लेकिन अभी तक किसी भी सेम्पल में कोई रिपोर्ट नहीं आई है।
- अमानक खाद, बीज में हैं रासुका के आदेश...
अमानक खाद, बीज बेचने के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा अलग-अलग समय पर रासुका के तहत कार्रवाई करने के आदेश करने के सख्त निर्देश है, लेकिन इसके बाद भी देखने में यह आता है कि एफआईआर तक दर्ज नहीं करवाई जाती है।
- भगत और रजक सिस्टम में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा..!
बैतूल जिले में कृषि विभाग में जो ढर्रा और सिस्टम वर्षो से चला आ रहा है वहीं चल रहा है। पूर्व उपसंचालक केपी भगत हो या वर्तमान उपसंचालक आरजी रजक हो सबको काम करने का तरीका एक ही है और उसका नतीजा यह है कि किसानों को अमानक खाद, बीज बेच दी जाती है और जब रिपोर्ट आती है तो उसके बाद किसानों को उसमें कोई राहत नहीं मिलती है। पूरे मामले में लीपापोती कर दी जाती है। झूठे आंकड़े पेश कर अधिकारी वाहवाही लूट लेते हैं ।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 02 जुलाई 2023