(बैतूल) प्रशासन भी कार्रवाई के नाम पर प्रबंधन में डालकर रहवासियों को ही संकट में डालेगा , - अवैध कालोनी में प्लॉट बेचकर कालोनाईजर चला गया और अब रहवासी सुविधाओं की कर रहे मांग
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । शिवशक्ति नगर बडोरा के रहवासियों ने अवैध कालोनी को लेकर एक शिकायत की है। जिसमें उन्होंने बताया कि कालोनाईजर रमेश एवं संध्या खातरकर सहित रामप्रसाद बारपेटे निवासी बडोरा द्वारा खसरा नं 282 में एक कालोनी काटी गई थी। यह जमीन सूर्यकांत यादव बैतूल के नाम पर दर्ज थी। प्लॉट बेचते समय रमेश खातरकर और रामप्रसाद द्वारा बिजली, नाली, सडक़ की व्यवस्था करने के साथ-साथ प्लॉट का डायवर्सन कराने का आश्वासन दिया गया था। करीब 5 वर्ष गुजर चुके है, लेकिन अभी तक कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। खसरा नं 282 में 25 से ज्यादा मकान बन गए है। परिवार वहां निवास करते है। यहां पर बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों को कीचड़ में आना-जाना पड़ता है, जिससे दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। बारिश का पानी घरों में घुस रहा है। सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर कई बार कालोनाईजर से कहा गया, लेकिन वह सुनने को तैयार नहीं है और कहता है कि अब जहां शिकायत करना है कर लो मेरा कुछ होना जाना नहीं है। हालत यह है कि जिम्मेदार अधिकारी भी लगातार शिकायत करने के बावजूद उनकी शिकायत करने को तैयार नहीं है। मामले को लेकर एडीएम श्यामेन्द्र जायसवाल ने लोगों से कहा कि इस मामले में वे एसडीएम को आवेदन भेज रहे है और जाकर एसडीएम से मिलो। उस पर आवेदनकर्ताओं ने कहा कि पहले भी एसडीएम से मिले चुके है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि किसी भी स्तर पर वहां कोई सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। जिस तरह की प्लॉट बेचते समय जानकारियां दी गई थी, वह सब धोखा निकला। कालोनी अवैध है और इसलिए वहां मकान बनाने को लेकर बैंक लोन जैसी सुविधा तक लोगों को नहीं मिल रही है। उनका कहना था कि कालोनी की नियमितिकरण के लिए एसडीएम कालोनाईजिंग एक्ट के अनुसार कार्रवाई करें और वहां सुविधाएं उपलब्ध करवाएं।
- यदि कालोनी प्रबंधन में डालते है तो नुकसान रहवासियों का...
ग्रामीण क्षेत्र की अवैध कालोनी में कार्रवाई के नाम पर यदि प्रशासन उक्त कालोनी को प्रबंधन में डालता है तो इसमें सीधा नुकसान रहवासियों का होता है। कालोनाईजिंग वहां प्लॉट बेचकर जा चुका है और उसका प्रबंधन से कुछ बिगडऩा नहीं है। पूर्व में यह देखा गया है कि इस तरह की अवैध कालोनियों को प्रबंधन में डालने के बाद यदि एसडीएम ने विकास शुल्क आदि की राशि तय कर कालोनी प्रबंधन मुक्त कर भी दी तो उक्त कालोनाईजर ने राशि जमा नहीं की।
- ग्रामीण क्षेत्र में भी कलेक्टर को करवानी चाहिए एफआईआर...
अवैध कालोनाईजिंग के मामले में वर्तमान कलेक्टर के रहते हुए जो करीब एक दर्जन अवैध कालोनियों में एफआईआर हुई है तो वह शहरी क्षेत्र की कालोनी थी, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में एफआईआर न होने से अवैध कालोनाईजरों में जरा भी डर नहीं है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 05 जुलाई 2023