बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। अवैध कालोनियों को लेकर शहरी क्षेत्र की अवैध कालोनियों पर प्रशासन का पूरा फोकस है और सीएम की घोषणा के अनुसार पूरी कसरत भी केवल नगरीय क्षेत्र की अवैध कालोनियों पर ही की जा रही है। जबकि नगरीय क्षेत्र से ज्यादा अवैध कालोनियां ग्रामीण क्षेत्र में नगरीय क्षेत्र के आसपास ही है। इन कालोनियों में न तो मूलभूत सुविधाएं और न ही यह वैध है। इसके बावजूद इन कालोनियों को लेकर किसी भी स्तर पर कोई प्रयास नहीं हो रहे है। हालत यह है कि शिकायत होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीण क्षेत्र की अवैध कालोनियों पर अपना ध्यान ही केन्द्रीत नहीं कर रहे है। बताया गया कि नगरीय क्षेत्र की अवैध कालोनियों से दस गुना अवैध कालोनियां ग्रामीण क्षेत्र में है। अब सवाल यह है कि सीएम ने जो घोषणा की थी वह केवल नगरीय क्षेत्र की कालोनियों के लिए थी या ग्रामीण क्षेत्र की कालोनियों के लिए भी थी। दिसम्बर 2022 के पूर्व की जिन भी अवैध कालोनियों में प्रशासन ने प्रक्रिया की है। उसमें भी कई तरह के सवाल है। 
पूरी कार्रवाई में कई तरह के बिंदुओं को नजर अंदाज किया जा रहा है। इस वजह से पूरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है और कहीं भी प्रक्रिया में कालोनियों को वैध किए जाने की बात नहीं लिखी जा रही है और न ही जिन दिशा निर्देशों के आधारों पर इन कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया हो रही है उनमें भी कहीं कालोनियों को वैध करने का जिक्र नहीं है। इसके अलावा जो प्रक्रिया हो रही है वह केवल नागरिक अधोसंरचना के नाम पर हो रही है।
वैसे ग्वालियर हाईकोर्ट के जो दिशा निर्देश है, यदि उसको बारीकी से देखा जाए तो यह जो कुछ प्रक्रिया चल रही है, यही अपने आप में सवालों के घेरे में है। क्योंकि ग्वालियर हाईकोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में लिखा था कि 2016 के बाद की कालोनियों को वैध ही किया जा सकता। इसके बावजूद सीएम की घोषणा के परिपालन में जो प्रक्रिया की गई उसमें एडीएम ने ही प्रक्रिया को अधूरा बताते हुए नगरीय निकायों को उनके द्वारा भेजे गए लेआउट प्लॉन वापस भेज दिए है। इसलिए अब यह प्रक्रिया और सुस्त हो गई है। इन तमाम स्थितियों के बीच ग्रामीण क्षेत्र की अवैध कालोनियों को लेकर हर तरफ एक तरह की खामोशी है। जिसको लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई जवाब सामने नहीं आ रहा है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 06 जुलाई 2023