बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। हाल ही में सामने आई तबादला सूचियों के बाद सत्तापक्ष के संगठन के पदाधिकारियों में असंतोष देखा जा रहा है और इसे अंदरखाने का बवाल माना जा रहा है। हालांकि अनुशासन के कारण बवाल अभी उभर कर बाहर नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि मंडल अध्यक्षों से सूचियां मांगी गई थी और आश्वस्त किया गया था कि उनके अनुसार फेरबदल होगा, लेकिन जब सूचियां सामने आई तो पता लगा कि मंडल अध्यक्षों वाली अनुशंसाओं को हवा ही नहीं लगी। अधिकारियों ने अपनी मर्जी से तमाम तबादले कर डाले है। 
चुनावी वर्ष में कर्मचारियों और अधिकारियों की फील्ड पोस्टिंग बड़े मायने रखती है और ऐसे में मैदानी स्तर पर संगठन का काम और चुनावी जमावट को देखने वाले मंडल अध्यक्षों की अनुशंसाएं कचरे में डाल दी गई तो इसका नतीजा यह रहा कि व्हाट्सअप पर इसको लेकर असंतोष जाहिर होने लगा है। बताया जा रहा है कि कुछ मंडल अध्यक्ष तो इतने नाखुश है कि वे तबादलों में अपनी सहभागिता न देखकर पद छोडऩे तक का मन बना रहे है, हालांकि अभी किसी ने ऐसा स्पष्ट रूप से नहीं कहा है, लेकिन अंदरखाने से बार-बार इस तरह की आवाजें आ रही है और इसका सीधा नुकसान भाजपा को ही होना वाला है। अब भाजपा को कमांड करने वाले वरिष्ठ पदाधिकारी इस बात को जान समझ पा रहे है या नहीं अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन उन तक भी यह बात पहुंच चुकी है कि 28 मंडलों से आई सिफारिशों में से किसी की भी अनुशंसा को कोई तवज्जों नहीं दी गई है। मैदानी स्तर पर आम लोगों की समस्या और काम के लिए मंडल अध्यक्ष और पदाधिकारियों को पटवारी, शिक्षक, पुलिस, पंचायत सचिव और रोजगार सहायकों से काम पड़ता है, लेकिन इनके तबादलों में ही एक न चली। अब संगठन के कर्ताधर्ता इन मंडल अध्यक्षों को जवाब नहीं दे पा रहे है कि मंडलों की अनुशंसाओं को लेकर आगे क्या है। क्या कोई संशोधित लिस्ट भी आएगी, यदि आएगी तो क्या उनकी अनुशंसाओं को तवज्जो दी जाएगी?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 09 जुलाई 2023