(बैतूल) सारनी के सूखाढाना की तरह उलझ सकता है यह औद्योगिक कलस्टर भी, - कढ़ाई वुडन कलस्टर के जमीन आवंटन प्रस्ताव में मनरेगा के दो तालाब लापता
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। बैतूल तहसील का वुडन कलस्टर विवादों में आ रहा है और इसका बड़ा कारण जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा भूमि आवंटन प्रक्रिया में नियम कायदों का पालन न किया जाना है। पहले भी यह वुडन कलस्टर डूडा बोरगांव में विवादों में आने के कारण बंद कर दिया गया था और अब नए सिरे से कढ़ाई में स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इसमें भी तमाम तरह की तकनीकी खामियाँ सामने आ रहा है। यदि इन तकनीकी खामियों को समय रहते दूर नहीं किया गया तो इस औद्योगिक कलस्टर का हश्र भी सारनी के सूखाढाना वाले औद्योगिक कलस्टर की तरह ही होगा। जो कि छोटा-बड़ा झाड़ जंगल मद की जमीन के चक्कर में जो उलझा तो अभी तक बाहर नहीं निकला है।
कढ़ाई में वुडन कलस्टर औद्योगिक क्षेत्र के लिए जो जमीन आवंटित की गई है उसमें सरकारी रिकार्ड में कई तथ्यों को छिपाया गया है या छोड़ दिया गया है। यह सब होना एक तरह से धोखाधड़ी की श्रेणी में ही आता है।
बताया गया कि वुडन कलस्टर क्षेत्र के लिए ग्राम पंचायत कढ़ाई में जो जमीन आवंटन किया गया है, उसमें मनरेगा मद के लाखों रूपए से निर्मित किए गए दो बड़े तालाब आ रहे है। यह बड़े तालाब ग्रामीणों के निस्तार के लिए पंचायत द्वारा निर्मित किए गए है। इसमें से एक तालाब का उपयोग तो नगरपालिका बैतूल की कढ़ाई में स्थित गौशाला के मवेशियों के पानी पीने के लिए किया जाता है। मामले में खास बात यह है कि उक्त भूमि आवंटन की प्रक्रिया में ग्राम सभा से कोई प्रस्ताव ही नहीं लिया गया है और ग्राम पंचायत सचिव से जो अनापत्ति ली गई है, उसमें कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि इस जमीन पर ग्राम पंचायत द्वारा दो बड़े तालाब अलग-अलग समय अवधि में निर्मित किए गए है। वर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष हंसराज धुर्वे ने भी स्वीकार किया है कि जब वे ग्राम पंचायत कढ़ाई के सरपंच हुआ करते थे तब उनके द्वारा उक्त भूमि पर दो बड़े तालाबों का निर्माण कराया गया था।
- इनका कहना...
- भूमि आवंटन प्रस्ताव में तालाब का उल्लेख न होने से फर्क नहीं पड़ेगा...
ग्राम पंचायत ने अपने प्रस्ताव में यदि उल्लेख नहीं किया गया तो यह उसकी जिम्मेदारी है। वैसे इसका उल्लेख न करने से वुडन कलस्टर में किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वुडन कलस्टर में नियम से जमीन आवंटन हुआ है।
-अभिलाष मिश्रा, सीईओ, जिला पंचायत बैतूल।
- सीबीआई को शिकायत करेंगे, इसमें कलेक्टर और सीईओ पक्षकार बनेंगे...
मनरेगा में दोनों तालाब बने है। यह केन्द्रीय योजना की संपत्ति है, इसमें सीबीआई की जांच होना चाहिए और भूमि आवंटन समिति के जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर के साथ-साथ पंचायत सचिव भी पक्षकर बनता है।
- आशीष चतुर्वेदी, व्हिसिल ब्लोअर ।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 24 जुलाई 2023