(बैतूल) लोनिया सहित आसपास के चार गांव के सैकड़ों किसान लामबंद , - जमीन को लेकर पावर जनरेटिंग कंपनी और किसानों में टकराव
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। ग्राम पंचायत लोनिया के सरपंच के नेतृत्व में तेंदूखेड़ा, लोनिया, डोकली और खापा के करीब दो ढाई सौ किसानों की जमीन का मसला लेकर करीब एक दर्जन किसान कलेक्टर से मिलने आए। उनका आरोप है कि पावर जनरेटिंग कंपनी उनकी जमीन हड़पने का काम कर रही है। जिस जमीन पर वे वर्षाे से काबिज है, खेती कर रहे है और उसका लगान भी लगातार जमा करते आ रहे है। उस जमीन पर अब पावर जनरेटिंग कंपनी अपना अधिकार बता रही है और जमीन हड़्पने की कोशिश कर रही है।
इनका कहना है कि करीब दो सौ कृषक परिवार है जिनका जीवन यापन इस जमीन से होता है। इन्होंने बताया कि जनरेटिंग कंपनी ने विक्रय पत्रक के आधार पर न्यायालय के समक्ष नामांतरण हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसे न्यायालय ने 27 सितम्बर 2010 को निरस्त कर दिया है। अब इस प्रश्नाधीन भूमि जिसका नामांतरण पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा स्वयं के पक्ष में करने का प्रयास किया जा रहा है। उस भूमि पर वर्तमान में राजस्व अभिलेख में कृषकों का नाम दर्ज है और कृषक इस जमीन पर खेती कर रहे है औ लगान भी जमा करते आ रहे है।
इन किसानों का कहना है कि पावर जनरेटिंग कंपनी का दावा है कि 1966-67 में उक्त जमीनों का रजिस्ट्री कराई गई थी, किंतु पिछले 50-60 वर्षो के बाद भी आज तक न तो कंपनी का कब्जा है और न ही राजस्व रिकार्ड में कंपनी का नाम दर्ज है। इस स्थिति में इस तथाकथित वैद्यता को किसान चैलेंज कर रहे है और उनका कहना है कि हमारे पूर्वजों में हमें कभी नहीं बताया गया कि उक्त जमीन का कथित रजिस्ट्रर्ड विक्रय पत्रक का पावर जनरेटिंग कंपनी के नाम निष्पादन कराया गया है। किसानों का कलेक्टर से कहना है कि उक्त भूमि पर किसानों का नाम है और उनका ही कब्जा है। इसलिए उक्त भूमि का लगान विगत 50-55 वर्ष से जमा करते आ रहे है, तथा इस भूमि पर खेती भी कर रहे है। साथ ही इस जमीन पर केसीसी लोन भी ले रहे है, सोसायटी से खाद, बीज भी ले रहे है। ऐसी स्थिति में मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा प्रस्तुत कथित रजिस्ट्री पत्रक को अवैध माना जाए। अब ऐसी स्थिति में सबसे बड़ा सवाल यह है कि चार गांव के दो ढाई सौ से ज्यादा किसानों के मामले में अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने मुंह नहीं खोला है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पावर जनरेटिंग कंपनी की जमीन होती तो कब का नामांतरण करवा लिया गया था होता। इस तरह से 55 वर्ष इंतजार नहीं करते।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 05 अगस्त 2023