बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। घाटबिरोली की राशन दुकानों में जो सेल्समेन पंढरी डांगे द्वारा कलाकारी की जा रही थी, उसकी जांच करने 14 अगस्त को तहसीलदार और क्षेत्र की फूड इंस्पेक्टर मौके पर पहुंची, लेकिन उसके पहले ही पंढरी ने लोकल लेबल पर मैनेजमेंट कर लिया था! इसलिए जांच में जो तथ्य आना था वह सामने नहीं आए? कायदे से यह जांच फिर से होना चाहिए और इस जांच में स्थानीय फूड इंस्पेक्टर की जगह किसी अन्य फूड इंस्पेक्टर को रखा जाना चाहिए? नायब तहसीलदार डाली रैकवार ने बताया कि हरिराम के परिवार में सात लोग है और उसमें 6 के ही नाम दर्ज है, इसलिए 35 किलो राशन नहीं मिल रहा है और सच्चाई यह है कि उसे 25 किलो ही राशन दिया जा रहा है, कायदे से 6 के अनुसार 30 किलो राशन मिलना चाहिए। पूरे मामले में पंढरी डांगे ने हरिराम, बिरजा और भोजू आदि पर लोकल लेबल पर ही दबाव बना लिया था और उन्हें इस बात के लिए सहमत कर लिया था कि वे उसके अनुरूप बयान दे। अधिकारियों के सामने वही बोले जो उसने समझाया  है। इसलिए इस जांच में पंढरी की उजागर हो चुकी कलाकारी सिद्ध नहीं हो पाई। सूत्रों का कहना है कि जो फूड इंस्पेक्टर है वह पहले भी मुलताई क्षेत्र में पदस्थ रही है और कही न कही पंढरी की उनसे ठीकठाक बातचीत है, इसलिए जिस तरह से जांच होना चाहिए थी, वह हुई नहीं वहां केवल औपचारिकताएं पूरी की गई है। हालांकि कलेक्टर ने तो खबर प्रकाशित होते ही जांच के लिए निर्देशित किया था और उसका नतीजा यह रहा कि तहसीलदार के साथ फूड इंस्पेक्टर को मौके पर जाना पड़ा, लेकिन कायदे से जांच नहीं की गई।

- जांच पर उठ रहे सवाल...
1- जिन लोगों को कम राशन मिलने का मामला सामने आया उन्हें किसके माध्यम से जांच के लिए सूचित किया गया और बुलवाया गया?
2 - क्या जांचकर्ता अधिकारियों ने पीओएस मशीन से मिलने वाली पर्ची आदि की जांच की थी यदि नहीं तो क्यों नहीं की?
3 - क्या जिन लोगों के नाम कम राशन मिलने में उजागर हुए थे उनके अतिरिक्त भी उपभोक्ताओं की रेंडम जांच की गई?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 21 अगस्त 2023