(बैतूल) दल से लेकर प्रत्याशी तक प्रलोभन और उत्कोच का ले रहे सहारा..? , - वोटर नहीं सिर्फ वोट बैंक है इसलिए चुनावी त्यौहार में हाजिर है ऑफर..!

- मतदाताओं को छात्र, युवा, बुजुुर्ग, महिला, पुरूष, कर्मचारी, दिव्यांग आदि श्रेणियों में बांटकर उम्मीदवार कर रहे वोट का गुणा-भाग
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। राजनीति का ट्रेंड बदल चुका है, यहां पर जन सरोकार नहीं सौदेबाजी है। इसलिए वोटर्स को अलग-अलग चश्में से देखा जाता है और वोट बैंक की तरह ट्रीट किया जा रहा है। राजनैतिक दल से लेकर पार्टी के उम्मीदवार तक अपने-अपने स्तर पर हर स्तर पर वोट बैंक के लिए पैकेज के आधार पर मैनेजमेंट कर रहे है। इस मामले में सबका अपना-अपना मैनेजमेंट है! यह स्थिति बताती है कि लोकतंत्र कहां पहुंच चुका है? हालत यह है कि वोटर्स को मैनेज करने के लिए अलग-अलग मापदंड के आधार पर इवेंट क्रियेट कर भोज और गिफ्ट की पॉलिटिक्स हो रही है। इस सबके आगे भी बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो यह बताता है कि अघोषित रूप से वोट खरीदने का खेल ही चल रहा है! अब सवाल यह है कि इस खरीद फरोख्त में कौन कैसा बिक रहा है, यह अलग मसला है? यह चुनाव लडऩे वाले दल या उम्मीदवार की रणनीति और संसाधनों के आधार पर तय हो रहा है। इसलिए मतदाताओं को अलग-अलग वर्ग में बांटा जा रहा है, जिससे कि उस वर्ग की जरूरतों के आधार पर मैनेज किया जा सके? उन्हें प्रलोभन दिया जा सके, उन्हें उत्कोच देकर अपने पक्ष में लाया जा सके! जो सक्षम उम्मीदवार है वे इस तरह के फार्मूलों का खुला इस्तेमाल कर रहे है? कहीं से कहीं तक कोई रोक टोक दिखाई नहीं देती! यह सब एक फार्मेट की तहत किया जाता है। हालत यह है कि त्यौहार जैसे इवेंट में भी साड़ी, चप्पल, ढोलक, मंजीरे, छत्र, चंदा आदि माध्यमों से चुनावी राजनीति में पूरी घुसपैठ कर ली है। जिसके नमूने अलग-अलग तरह से सोशल मीडिया और मीडिया में नजर आते है। अब ऐसी स्थिति में आंकलन लगाया जा सकता है कि चुनाव जीतने के बाद वोट बैंक बन चुके मतदाताओं के हाथ में क्या आएगा ? और इस तरह का फार्मूला सेट होने के बाद मतदाता की ताकत की क्या वैल्यू होगी? इसका भी आंकलन मतदाताओं को करना चाहिए! राजनीति पर बारीक नजर रखने वाले पत्रकार राज मालवीय का कहना है कि हालत यह है कि चुनाव जीतने के लिए अपने वर्करों के माध्यम से शराब और चखने की व्यवस्था कर नई पीढ़ी को मैनेज कर शराब का आदी बनाने में भी संकोच नहीं किया जा रहा है। इससे समझा जा रहा है कि वोट बैंक की राजनीति किस दिशा में जा रहा है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 21 अक्टूबर 2023