(बैतूल) राजनैतिक दलों ने एक दूसरे की शिकायत के लिए बना रखी है सेल , - चुनाव में सक्रिय है श्रीमान शिकायतकर्ता..! एक दूसरे पर दबाव बनाने के दांव पेंच में हो रही है खूब शिकायतें..?
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। पेशेवर राजनीति का जमाना है। हर चीज मैनेजमेंट के हिसाब से होती है। प्रत्याशी के ड्रेस कोड से लेकर उसके बोलने तक का कार्यक्रम मैनेजमेंट कंपनियां फिक्स कर रही है। बैतूल जिले के चुनाव में भी इन कंपनियों का दखल अलग-अलग तरीके से नजर आता है। इस दखल का एक बड़ा नमूना यह है कि राजनैतिक दल या उनके प्रत्याशियों ने अपना लीगल सेल बना रखा है और इस सेल का काम ही इतना है कि हर छोटी-बड़ी बात को लेकर धड़ाधड़ शिकायतें करें! जिले भर में हालत यह है कि थाने से लेकर एमसीएमसी कमेटी तक और एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक लिखित शिकायतें पहुंच रही है? मौखिक शिकायतों का तो कोई हिसाब किताब ही नहीं है। इस तरह की रणनीति बैतूल जिले के चुनाव में पहले नजर नहीं आती थी, लेकिन पिछले चुनाव के बाद से बैतूल में भी चुनाव लडऩे के तौर तरीके बदले है और उन्हीं का नमूना है कि हर बात को लेकर शिकायतें जारी है और कहा जा रहा है कि पिछले नगरपालिका और पंचायत चुनाव के दौरान भी खूब शिकायतें हुई थी, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में यह ट्रेंड और जोर पकड़ चुका है। हालत यह है कि प्रत्याशियों द्वारा जारी प्रेस नोट को लेकर तक प्रत्याशी एक दूसरे की खुली शिकायत कर रहे है।
इस तरह की शिकायतबाजी की वजह से लोगों का कहना है कि राजनैतिक माहौल खराब होता है, विद्वेष की भावना बढ़ती है। यह बैतूल जिले की राजनीति से कतई मैच नहीं खाता है। बैतूल जिले के जागरूक मतदाताओं का कहना है कि चुनाव को जमीन पर लाए और मतदाताओं को यह बताए कि उनके लिए भविष्य का क्या प्लान है? यह भी बताए कि बेरोजगारों के लिए क्यों करेंगे, किसानों के लिए क्या करेंगे? कैसे बैतूल के युवा आगे बढ़ेंगे? इस तरह के सवाल और जवाब के साथ प्रत्याशी सामने आए और स्वस्थ्य मानसिकता के साथ चुनाव लड़े। राजनीति को कैरियर समझकर अपना सबकुछ दांव पर न लगाए और न ही दूसरे लोगों को और नहीं अपने पूर्वजों के संबंधों को दांव पर न लगाए क्योंकि 17 नवम्बर के बाद 18 नवम्बर भी आती है और 3 दिसम्बर के बाद 4 दिसम्बर भी आएगी ही । बैतूल जिला हम सबका अपना है, यदि जनहित में चुनाव लड़ रहे है तो शिकवा शिकायत का ट्रेंड बंद होना चाहिए? यदि स्वहित में चुनाव लड़ रहे है तो हम कुछ नहीं कह सकते! मैनेजमेंट कंपनियों का क्या है वे तो अपना गणित दिखाकर चली जाएगी? चार कांधे की जरूरत सबको अपने इसी बैतूल में पडऩे वाली है। बेहतर है कि अपने संबंधों को बेहतर बनाकर रखे। व्यक्तिगत विद्वेष, लाभ, हानि को परे रखकर स्वस्थ्य तरीके से चुनाव लड़े। बैतूल की सिविल सोसायटी भी सभी उम्मीदवारों से यही अपील करती है और अपेक्षा रखती है कि अब शिकवा शिकायतों का दौर बंद होगा। अगर शिकवा शिकायत बंद करना है तो असामाजिक तत्वों की करें। जिससे कि चुनाव में किसी भी तरक का कोई उपद्रव खड़ा न हो?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 09 नवंबर 2023