बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । बैतूल में अपनी पोस्टिंग के बाद से ही वर्तमान जिला जनसंपर्क अधिकारी मुकेश दुबे का जिस तरह का प्रदर्शन रहा है, उसको लेकर तरह-तरह की शंकाए जाहिर की जा रही है। सोमवार को मीडिया सेंटर में कतिपय मीडियकर्मी आपस में चर्चा कर रहे थे कि पीआरओ साहब को प्रेस नोट बनाना ही नहीं आता है..! वे तीन कॉलम की खबर तो दूर की बात है, गाय पर निबंध भी नहीं लिख सकते..? पत्रकारों की शंका में इसलिए वजन नजर आता है कि चुनाव के दरमियान भी जिला जनसंपर्क कार्यालय से कोई भी ऐसी प्रेस रिलीज जारी नहीं हुई जिसे फुल कटेंट वाला माना जाए। जो सूचनाएं जारी हुई वे भी आधी अधूरी टाईप थी। पूरे चुनाव के दौरान जिस तरह का लचर प्रदर्शन हुआ उसकी वजह से स्वीप प्लान का भी ठीक से प्रचार-प्रसार नहीं हुआ और नतीजा यह रहा कि मतदान के प्रतिशत में कोई खास इजाफा नहीं हो पाया! वहीं सबसे बड़ी बात यह है कि एमसीएमसी कमेटी में किस पत्रकार को रखा गया? किस आधार पर रखा गया? उक्त पत्रकार ने क्या भूमिका निभाई? 
यह सब जानकारियां भी जिला जनसंपर्क कार्यालय से सार्वजनिक नहीं की गई? वहीं दूसरी बड़ी बात यह है कि जिला जनसंपर्क अधिकारी को एमसीएमसी कमेटी में उनकी भूमिका को लेकर एक वरिष्ठ पत्रकार ने नैतिक उत्तरदायित्व भी याद दिलाया था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने अपने नैतिक उत्तरदायित्व का पालन किया हो ऐसा कभी मीडियाकर्मियों को नजर ही नहीं आया। जिस तरह की चर्चाएं जिला मुख्यालय पर वर्तमान जनसंपर्क अधिकारी की भूमिका को लेकर हो रही है, उससे प्रशासन की छवि पर भी असर पड़ता नजर आ रहा है। वर्तमान जिला जनसम्पर्क अधिकारी को लेकर एक राय स्पष्ट नजर आती है कि वे अपनी भूमिका के साथ कतई न्याय नहीं कर पा रहे है?

- बड़ा सवाल... साहब खानापूर्ति करने ही जनसंपर्क कार्यालय आते हैं ...
जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार साहब की प्रेस नोट बनाने जैसे कामों में जरा सी भी दिलचस्पी नहीं है, वे केवल औपचारिकता निभाने के लिए जनसंपर्क कार्यालय आते है और पूरा जनसंपर्क कार्यालय कलेक्ट्रेट रेट पर काम कर रहे कर्मचारियों के ही भरोसे चल रहा है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 20 नवंबर 2023