(लखनऊ) आस्था, विश्वास और दृढ़ता का मूर्त रूप है हमारी सनातन संस्कृति , - काशी के संत समर्थ त्र्यंबकेश्वर ब्रह्मचारी ने महाकालेश्वर मन्दिर में कहा...

- दंडी स्वामी देवेंद्रानंद सरस्वती की उपस्थिति में लालकुआं में अनेक ज्ञान जिज्ञासु जुटे
लखनऊ(हेडलाइन)/राम महेश मिश्र । आस्था, विश्वास, भक्ति और दृढ़ता का संयुग्म है हमारी सनातन संस्कृति। यह संस्कृति सर्वकल्याणकारी है। सनातन ही विश्व का एकमात्र धर्म है, शेष सभी पंथ या मजहब हैं।
यह बात आज संध्याकाल लालकुंआ स्थित महाकालेश्वर गुरुकुल परिसर में *सनातन की उपादेयता* विषय पर संपन्न संगोष्ठी में काशीनगरी वाराणसी से पधारे समर्थ श्री स्वामी त्र्यंबकेश्वर ब्रह्मचारी ने कही। वह दंडी स्वामी देवेंद्रानंद सरस्वती के सानिध्य में सन्निधि में लखनऊ के विभिन्न अंचलों से पधारे ज्ञान जिज्ञासुओं एवं गुरुकुल ऋषिकुमारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आर्षग्रंथों में, शास्त्रों में ऋग्वेद सबसे प्राचीन ग्रंथ है। सनातन संस्कृति का यह सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ सनातन की प्राचीनता को सिद्ध करता है। उन्होंने राष्ट्र-विश्व में सुख-शांति स्थापित करने के लिए सनातन को पुनः प्रतिष्ठित करने का आवाहन सनातन प्रेमियों से किया। श्री स्वामी जी ने व्यक्तिवाद को सबसे हानिकर बताते हुए कहा कि व्यक्ति पूजन से न केवल परिवार, संस्था एवं समाज का क्षरण होता है, बल्कि उससे समूचे राष्ट्र और संस्कृति की बाहरी हानि होती है। उन्होंने सनातन को मानने वालों से अपील की कि वे सनातन के निर्देशों को भी मानें।
स्वामी त्रंबकेश्वर ब्रह्मचारी ने चतुर्वेद को शाश्वत संविधान की संज्ञा देते हुए कहा कि आज विधान की उपेक्षा करते हुए व्यवहार पर ज्यादा जोर दिया जाने लगा है, जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति विभिन्न पर्वों एवं संस्कारों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन को जीवंत बनाए रखती है। उन्होंने उज्ज्वल भविष्य वाले नवयुग में प्रवेश के इस अति विशिष्ट काल में सभी से सनातन की ओर लौटने का आह्वान किया।
सभा की अध्यक्षता तपोभूमि महाकालेश्वर गुरुकुल लखनऊ के संस्थापक दंडी स्वामी मौनव्रती देवेंद्रानंद सरस्वती ने की। उनकी ओर से अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए, बीते चार दशक से गुरुकुल से जुड़े, भाग्योदय फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं संस्थापक आचार्य राम महेश मिश्र ने कहा कि भारत को आजादी के मूल में सनातन की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण रही है। बाल गंगाधर तिलक द्वारा महाराष्ट्र में गणपति मंडल की चर्चा करते हुए आजादी के गौरवशाली इतिहास से सभी को परिचित कराया।
तपोभूमि गुरुकुल वैदिक संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. सप्तर्षि मिश्र के मंचीय समन्वयन एवं संचालन में संपन्न विचार गोष्ठी में राष्ट्रीय प्रस्तावना समाचार समूह के संस्थापक संजीव श्रीवास्तव, प्रधान संपादक हरिनाथ सिंह, स्वतंत्र पत्रकार सुशील दुबे, एडवोकेट हिमांशु अवस्थी, एडवोकेट बी.पी.पाण्डेय, बालकृष्ण बाजपेई, सूबेदार मेजर मनोज पाण्डेय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।