बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। जिले के डीएसबी विभाग के नये-नये कारनामे सामने आ रहे है। बताया जा रहा है कि पीएचक्यू सर्कुलर के विपरीत जाकर काम किए जा रहे है और उसमें भी अब भ्रष्टाचार की आशंका नजर आ रही है जो कि जांच का विषय है। बताया गया कि पेट्रोल पंप की अनुमति के  लिए पुलिस वेलफेयर के नाम पर पैसे लिए जाते है और रसीद काटकर दी जाती है। इस रसीद पर कहीं पुलिस वेलफेयर शब्द का उल्लेख नहीं है, लेकिन रसीद डीएसबी से ही काटी जाती है और इन रसीद पर नॉन पब्लिक फंड लिखा हुआ है। बताया गया कि 5 हजार की रसीद काटी जाती है, लेकिन कई मामलों में इससे ज्यादा पैसा लिया जाता है। सूत्र तो यह भी दावा करते है कि कई मामलों में पैसे ले लिए जाते है और रसीद भी नहीं दी जाती है, जैसे एक पेट्रोल पंप संचालक से 7 हजार रूपए लिए गए थे, लेकिन उसे कोई रसीद नहीं दी गई। पेट्रोल पंप के मामले में ऐसे लोगों का पुलिस वेरीफिकेशन कर रिपोर्ट दे दी गई, जिन पर संबंधित थाने में अपराध दर्ज है। 
अब यह सब कैसे हो रहा है और किसके आदेश से हो रहा है। कितना पैसा पुलिस वेलफेयर के कथित फंड में जमा हुआ। कितना पैसा नहीं जमा हुआ, किससे कितना लिया गया, क्यों लिया गया, किसके आदेश पर लिया गया यह सब जांच का गंभीर विषय है। सवाल यह है कि उसकी जांच करवाएगा कौन? चूंकि डीएसबी एसपी ऑफिस कैम्पस में नहीं है वह वहां से दूर है। इसलिए डीएसबी ऑफिस में क्या होता है और क्या नहीं होता है इसकी कोई मॉनीटरिंग ही नहीं होती है। कोई देखने, सुनने वाला ही नहीं है। इसलिए आरोप लगते है कि वहां कुछ भी मनमानी चल रही है। यह सब क्यों हो रहा है, इसका एक बड़ा कारण है कि वरिष्ठ कार्यालय से प्राप्त आदेश और सर्कुलर का यहां पर पालन नहीं हो रहा है।
जब 13 जुलाई 2022, 12 अक्टूबर 2015 और 12 फरवरी 2016 के परिपत्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया कि संगठनात्मक विषय और आसूचना संकलन का ही काम डीएसबी को करना है। उन्हें किसी भी तरह के सत्यापन और वेरीफिकेशन काम से दूर रखना चाहिए, लेकिन नहीं रखा जा रहा है और नतीजा सामने है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 16 दिसम्बर 2023