बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक प्रतिनिधि नरेन्द्र मिश्रा का चुनाव में प्रदर्शन विवेचना और चर्चा का विषय बना हुआ है। कांग्रेसियों का ही कहना है कि शाहपुर ब्लॉक में मिश्रा का टैलेंट राहुल पर भारी पड़ गया, वरना राहुल चुनाव जीत जाते और विधायक होते। यह बात इसलिए कही जा रही है कि 2018 के चुनाव में शाहपुर ब्लॉक में 15674 वोट की बढ़त मिली थी, वहीं 2023 के चुनाव में यह घटकर 10413 रह गई है।
 इस तरह से 5261 वोट का नुकसान कांग्रेस को हुआ है और राहुल उईके 4243 वोट से चुनाव हार गए । राहुल उईके ने 7391 वोट बढ़ाए इसके बावजूद यह हार बताती है कि यदि शाहपुर ब्लॉक में पिछले चुनाव की तरह बढ़त मिलती तो राहुल चुनाव जीत ही जाते। खैर अब ऐसा क्यों हुआ इसको लेकर कई तरह की बाते सामने आ रही है। बताया गया कि ब्रम्हा भलावी के विधायक कार्यकाल में जिस तरह से नरेन्द्र मिश्रा की एक तरफा तूती बोली और अन्य नेता और कार्यकर्ता हासिए पर रहे?
 नतीजा यह रहा कि कार्यकर्ताओं में जो मिश्रा को लेकर आक्रोश था उसका नुकसान कहीं न कहीं राहुल उईके को ही हुआ है, क्योंकि मिश्रा के हाथों में राहुल उईके के चुनाव की कमान थी। जानकारों का कहना है कि यही स्थिति घोड़ाडोंगरी जनपद क्षेत्र से भी सामने आती है। यहां पर भी जो जनपद सदस्यों में नाराजगी थी उसका बड़ा कारण भी कहीं न कहीं नरेन्द्र मिश्रा को ही माना जाता है। खैर जो भी हो, लेकिन एक योग्य उम्मीदवार माने जा रहे राहुल उईके को नरेन्द्र मिश्रा की वजह से चुनाव में नुकसान होने का आंकलन किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि यदि राहुल उईके नरेन्द्र मिश्रा पर निर्भर नहीं रहते तो शाहपुर ब्लॉक से जो बढ़त कम हुई है वह कम नहीं होती और राहुल उईके चुनाव जीत सकते थे। नरेन्द्र मिश्रा की वजह से जो ब्रम्हा भलावी का विरोध पूरा विधानसभा में था उसकी वजह से ही राहुल उईके और कांग्रेस को चिचोली ब्लॉक में भी नुकसान हुआ। 
वहीं घोड़ाडोंगरी ब्लॉक में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा। लोगों को लगा कि जिस तरह से 5 वर्ष ब्रम्हा भलावी नरेन्द्र मिश्रा के मायाजाल से बाहर ही नहीं निकल पाए और यदि राहुल उईके भी चुनाव जीत गए तो वे भी मिश्रा से अलग जाकर न कुछ सोचेंगे और न ही कुछ पाएंगे ! घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में चाणक्य के रूप में चर्चित नरेन्द्र मिश्रा का फेलुवर वहां कांग्रेस की हार का कारण बना, अन्यथा इस सीट पर कांग्रेस चुनाव जीत जाती। कुछ कांग्रेसियों का मानना है कि मिश्रा की बड़ी नाकामी यह है कि वे जयस के उम्मीदवार को चुनाव लडऩे से नहीं रोक पाए। दूसरी बड़ी नाकामी यह है कि उनका मैनेजमेंट ही खराब था, इसका बड़ा उदाहरण यह है कि मीडिया मैनेजमेंट जैसा कहीं कुछ नजर ही नहीं आया। लोगों का कहना है कि महाराज ने शाहपुर ब्लॉक से जो लीड दिलाने का दावा किया था वह दावा फेल हो गया है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस की हार के लिए यदि कोई वास्तव में जिम्मेदार माना जाएगा तो वह विधायक प्रतिनिधि रहे नरेन्द्र मिश्रा ही होंगे।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 16 दिसम्बर 2023