(बैतूल) पंचायत चुनाव से नजर आ गया था कि मिश्रा जी की शाहपुर ब्लॉक में पकड़ हो गई थी ढीली
बैतूल (हैडलाइन)/नवल वर्मा। शाहपुर ब्लॉक में विधायक प्रतिनिधि नरेन्द्र मिश्रा का तिलस्म तो पंचायत चुनाव के दौरान ही एक्सपोज हो गया था। इसके बावजूद उनके भरोसे ही घोड़ाडोंगरी प्रत्याशी राहुल उईके पूरा चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस के लोगों का कहना है कि यदि राहुल उईके ने नरेन्द्र मिश्रा के भरोसे चुनाव नहीं छोड़ा होता तो शायद वे आज विधायक होते?
कांग्रेसी इस बात की तस्दीक करने के लिए पंचायत चुनाव का उदाहरण देते है और कहते है कि कांग्रेस के गढ़ में भाजपा ने पंचायत चुनाव में ही सेंधमारी कर ली थी और 18 में से 9 जनपद वार्डो में कांग्रेस समर्पित उम्मीदवार जीते और इसलिए शाहपुर में भाजपा का जनपद अध्यक्ष बना। उसी समय समझ आ गया था कि महाराज के हाथ से डोर छूट चुकी है और कांग्रेस की लूटिया डूब चुकी है! जानकार यह भी कहते है कि यदि ब्रम्हा भलावी चुनाव लड़ता और महाराज के हाथ ऐसे ही कमान रहती तो तब कांग्रेस का हश्र इससे भी ज्यादा बुरा होता? हालत यह थी कि जनपद वार्ड के चुनाव में नरेन्द्र मिश्रा के गृह ग्राम केसिया सहित आसपास के अन्य वार्ड में भाजपा समर्पित चुनाव जीत गए थे।
उस समय भी यह बात उठी थी कि यह स्थिति रही तो कांग्रेस विधानसभा चुनाव नहीं जीतेगी और वह बात सही साबित हुई। यह स्थिति होने के बावजूद भी नरेन्द्र मिश्रा की वजह से ब्रम्हा भलावी की टिकट काटकर राहुल उईके को दी गई। कुछ जानकारों का कहना है कि ब्रम्हा भलावी को छोडक़र जिस तरह से नरेन्द्र मिश्रा ने कुलाटी लगाई यह भी क्षेत्र के कांग्रेसियों को और आदिवासी मतदाताओं को बात पसंद नहीं आई और इसलिए बहुत से कांग्रेसी चुनावी में राहुल उईके से दूरी बनाकर रहे और उन्होंने काम ही नहीं किया।
खैर जो भी हो, लेकिन लोगों का मानना है कि राहुल उईके अच्छा उम्मीदवार था और जीत भी सकता था। बशर्ते नरेन्द्र मिश्रा जैसे कथित चाणक्य का आंतरिक विरोध राहुल के लिए नुकसानदायक साबित नहीं होता तो..!
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 18 दिसम्बर 2023