- भ्रष्टाचार का निदान दंड और भय नही है इसका उपाय तो संस्कार है  : मोहन भागवत  ,

- साहित्य सर्वत्र तो साहित्यकार की भूमिका भी सर्वत्र : मोहन भागवत

बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तीन दिवसीय भुवनेश्वर उड़ीसा में आयोजित सर्वभाषा साहित्यकार सम्मेलन व कार्यकर्ता मिलन समारोह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वान्त रंजन व साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील चंद्र त्रिवेदी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडक़र के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया। इस अखिल भारतीय आयोजन में मध्यप्रदेश के शिवपुरी में आयोजित किये गए क्रांतिवीरों को समर्पित क्रांतितीर्थ आयोजन की प्रशंसा मुक्त कंठ से हुई। देश भर से यहाँ आये हुए साहित्याकारों ने भी इसकी सराहना की।
प्रथम दिवस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वान्त रंजन, साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील चन्द्र त्रिवेदी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडक़र ने दीप प्रज्जवलन कर आयोजन को प्रारंभ किया व विविध विषयों पर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। दूसरे दिवस भुवनेश्वर विश्चविद्यालय में आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि साहित्या सर्वत्र है, अत: साहित्यकार की भूमिका भी सर्वत्र है। लोगों को अपना बनाने के लिए विचार व व्यवहार में समानता होनी चाहिए, सभी एक है इस विचार की प्रधानता होनी चाहिए, यही साहित्य से भी प्रचारित होना चाहिए। देव और असुर सब एक ने ही तो बनाए है। भौतिक स्वरूप से पार हुए तो ये समस्या का समाधान हो जायेगा। भागवत ने आगे कहा कि भ्रष्टाचार का निदान दंड और भय नही है इसका उपाय तो संस्कार है। पहले तो गाय की पूंछ पकडऩे पर किसी की हिम्मत झूठ बोलने की नही हो पाती थी, पर अब ऐसा इस लिए नही हो पाता है, क्योंकि संस्कारो का अभाव हुआ है।मन को संस्कार युक्त बनाना इसी के लिए साहित्य है।प्रक्रिया को चलाना यही साहित्यकार की भूमिका है। साथ ही अधिष्ठान पक्का रहे विचार चलता रहे कार्यपद्धति सर्व जन हिताय, सर्व जन मुखाय के लिए हो इसके लिए निरंतर प्रशिक्षण भी चलता रहना चाहिए।
इस अवसर पर मोहन भागवत ने पश्चिम बंगाल की डॉ. विदिशा सिन्हा, उड़ीसा के वैष्णवचरण मोहंती, मध्यप्रदेश की नुसरत मेहंदी उर्दू, गोआ के प्रो भूषण भावे, महाराष्ट्र की प्रो श्यामा घोडसे, पंजाब के पद्मश्री प्रो हर्मेन्द्र सिंह वेदी, केरल के आशा मेनन, राजस्थान की डॉ कमला गोकलानी, जम्मू कश्मीर के डॉ. महाराज कृष्ण भरत, उत्तरप्रदेश के डॉ. शिवबालक द्विवेदी, आसाम के फनीधर बोटा, डॉ. हजारी मयुम सुबदनी, तमिलनाडु के एस. सुब्रमण्यम, कन्नड़ के प्रेम शेखर, गुजरात के भगीरथ भाई ब्रह्मभट्ट, हैदराबाद के कासी रेड्डी, व लखनऊ के सूर्यकुमार पांडेय को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया । सभी को सरसंघचालक मोहन भागवत, सुशील चंद्र त्रिवेदी, उड़ीसा के प्रकाश वेताला, स्वान्त रंजन व धरणीधर ने प्रशस्ति पत्र के साथ मनीप्लांट का पौधा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
इससे पूर्व राष्ट्रीय मंत्री प्रो. नीलम राठी ने मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के संयुक्त सत्र में शिवपुरी में 54 दिवसीय आयोजित किये गए क्रान्तितीर्थ और बैतूल में आयोजित साहित्य संवर्धन यात्रा के आयोजन की भी भूरी - भूरी प्रशंसा की। जिसमे पूरे मध्यभारत प्रान्त से आई माटी का पूजन स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित किया था। वहीं बैतूल जिले से ही साहित्य संवर्धन यात्रा का आगाज़ हुआ था जिसका समापन शिवपुरी में हुआ ।
सर्वभाषा साहित्यकार सम्मेलन का संचालन संयुक्त राष्ट्रीय महामंत्री पवनपुत्र बादल ने तो भूमिका राष्ट्रीय महामंत्री ऋषिकुमार मिश्रा ने रखी।
इस राष्ट्रीय स्तर के आयोजन में    शिवपुरी से प्रान्त महामंत्री आशुतोष शर्मा और ग्वालियर से प्रान्त अध्यक्ष डॉ. कुमार संजीव के नेतृत्व में बैतूल जिले से नर्मदापुरम संभाग संयोजक, मध्यभारत प्रान्त उपाध्यक्ष सुनील पांसे "दास" और मध्यभारत प्रान्त के सहमिडिया प्रभारी नवल वर्मा सहित 30 साहित्यकारों ने सहभागिता मध्यभारत प्रान्त से की। वहीं मध्यप्रदेश की साहित्यकार उर्दू की नुसरत मेहदी भोपाल को राष्ट्रीय पुरुष्कार मिलने पर मध्यभारत प्रान्त में हर्ष व्याप्त हो गया।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 27 दिसम्बर 2023