भारत रत्न - राजनीतिक एवं सामाजिक सुचिता का प्रतीक : सीए सुनील हिराणी
चौधरी चरण सिंह जाट समुदाय से तो थे लेकिन वह भारत के पिछड़ा वर्ग के एवं किसान वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में जाने जाते रहे। चौधरी चरण सिंह एवं उनके परिवार के ही सदस्यों की नहीं अपितु उनके कई फॉलोअर्स की यह कई वर्षों से ख्वाहिश थी, मांग थी कि उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए। जयंत चौधरी जोकि चौधरी चरण सिंह के पोते हैं, वह भाजपा के साथ आगामी लोकसभा चुनाव में आएंगे इस बात पर अब मोहर लग चुकी है। भाजपा के द्वारा बिजनौर और बागपत यह दो सीटें लोकसभा की जयंत चौधरी को दी जा सकती है, इसके अलावा एक राज्यसभा की सीट भी उन्हें दी जा सकती है, जहां से जयंत चौधरी की पत्नी भाजपा के बैनर पर चुनाव लड़ सकती है। क्या भाजपा 80 में से 80 सीटें लाने की तैयारी में है, विपक्षी गठबंधन को यह एक बड़ा झटका आज भाजपा ने दिया है। डॉ.एस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न दिया गया है जो कि एक वैज्ञानिक है कृषि के, अगर किसानों को लेकर बात करें तो चौधरी चरण सिंह एवं डॉ.स्वामीनाथन को जो भारत रत्न दिया गया है यह वर्तमान सरकार की कृषकों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है, उनकी गंभीरता को दर्शाता है। पीवी नरसिम्हा राव को भारत दिया जाना एक प्रकार से कांग्रेस के मुंह पर भाजपा ने तमाचा मारा है। ऐसा इसलिए कि कांग्रेस को लग रहा था कि आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में वह अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन वर्तमान सरकार के इस निर्णय से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। चंद्रबाबू नायडू के भाजपा के साथ आने की भी संभावनाएं बढ़ गई है, अपने पिछले चुनाव में वह कांग्रेस के साथ थे यदि वह भाजपा के साथ आते हैं तो कांग्रेस के लिए यह दोहरी मार होगी। कांग्रेस अब तक यह सोच रही थी कि कर्नाटक एवं तेलंगाना में जिस तरीके से उसने बाउंस बैक किया है, वही रणनीति अपना कर वह आंध्र प्रदेश में भी अपनी सत्ता पर काबिज हो सकती है। लेकिन ऐसा संभव होगा नहीं। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने का असर केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं होगा, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार में भी इसका गहरा असर होगा। साथ ही साथ पुराने समाजवादी नेताओं के दिलों में मोदी जी ने जगह बनाने का एक बड़ा काम किया है। इस वर्ष में जो भी भारत रत्न दिए गए हैं उनके लिए विरोधी दल या आलोचक यह कह सकते हैं कि यह राजनीति से प्रेरित है, लेकिन मेरी नजर में ऐसा नहीं है एवं मोदी जी का इस बात के लिए स्वागत किया जाना चाहिए, प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने उन लोगों को भारत रत्न दिया है जो इसके लिए योग्य है, भले ही वह उनकी विचारधारा से सहमत रहे हो या ना रहे हो उनके विरोधी रहे हो या उनके साथ रहे हो इस बात से उन्होंने कोई सरोकार नहीं रखा। मोदी जी का यह कदम राजनैतिक एवं सामाजिक सुचिता को मजबूत करने की दिशा में एक ठोस कदम है।