बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। गोराखार पंचायत के सरपंच में पता नहीं कौन सी खूबी है कि उसके खिलाफ शिकायतों में आरोप जांच में सिद्ध पाए जाते है? इसके बावजूद कोई एक्शन नहीं होता है, बल्कि उसे बचाने के लिए तरह-तरह का प्रोपेगण्डा किया जाता है? यह बात सीएम हेल्प लाईन में आवासीय पट्टा बेचे जाने के मामले में हुई शिकायत में सामने आ रही है? 
जबकि उक्त मामले में जनसुनवाई में हुई शिकायत में भी कोलगांव आरआई और हल्का पटवारी ने जो जांच प्रतिवेदन दिया, उसमें भी बताया गया कि फुलकांति जौजे मनोहर जौजे को आवंटित आवासीय पट्टा सरपंच महेश रावत पिता शंकर दयाल ने बेच दिया है! लेकिन इसकी रजिस्ट्री नहीं हुई है और इस जमीन पर भूमि क्रेता ने मकान बना लिया है? आरआई, पटवारी के जांच प्रतिवेदन पर जब कोई एक्शन नहीं हुआ तो शिकायतकर्ता ने 07 फरवरी 2023 के आवेदन पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो 04 फरवरी 2024 को सीएम हेल्पलाईन पर शिकायत दर्ज कराई। जिसका क्रमांक 25931770 है। इस शिकायत में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि ग्राम गोराखार के सरपंच महेश रावत द्वारा पंचायत की आवासीय जमीन नियम विरूद्ध तरीके से लाखों रूपए में बेच दी। उक्त शिकायत में बताया गया था कि सरपंच महेश रावत द्वारा सर्वे क्रमांक 220 के आवासीय प्लॉट नंबर 72, जिसका क्षेत्रफल 0.008 हेक्टेयर को शासकीय कर्मचारी को लाखों रूपए में विक्रय कर दिया है। जिसको लेकर 15 जून 2023 को न्यायालय तहसीलदार बैतूल को आवेदन प्रस्तुत करने के बाद भी तहसीलदार द्वारा सरपंच महेश रावत के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई? वहीं इस सीएम हेल्पलाईन पर जो निराकरण किया गया उसमें बताया गया कि तहसीलदार बैतूल के प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 1995 में खसरा नं 220, प्लॉट नं 72, रकबा 0.008 हेक्टेयर फुलकांति जौजे मनोहर निवासी गोराखार को सरपंच द्वारा आवासीय पट्टा दिया गया था। जिसे महेश पिता शंकरदयाल रावत द्वारा प्लेंथ सहित भूमि नत्थू भंगीलाल सलामे निवासी गोराखार को बेच दिया गया है, जिसकी कोई रजिस्ट्री नहीं हुई है। फुलकांति जौजे मनोहर महेश रावत की बुआ है। शिकायत निराधार होकर विलोपन योग्य है और शिकायत को बंद कर दिया गया है!
19 मार्च को शिकायतकर्ता से सहमति अथवा असहमति की पुष्टि शेष है। उसी दिन बताया जाता है कि शिकायकर्ता की असंतुष्टि के आधार पर शिकायत उच्च अधिकारी को प्रेषित की जा रही है फिर बताया जाता है कि शिकायत निराकरण अधिकारी एल-2 अधिकारी है। फिर 2 अप्रैल को पुन: वही अपडेट किया जाता है जो 4 फरवरी 2024 को एल-1 द्वारा निराकरण में दर्शा गया था। इस तारीख में भी शिकायकर्ता की असंतुष्टि पर शिकायत उच्च लेबल अधिकारी को भेजी जा रही है और यह भी बताते है कि अब शिकायत निराकरण के लिए एल-3 अधिकारी है। 29 अप्रैल को सीएम हेल्पलाईन में अपडेट होता है, उसमें एल-1 वाला ही निराकरण दर्शाया जाता है और आगे बताते है कि शिकायत में सहमति और असहमति की पुष्टि शेष है। शिकायतकर्ता की सहमति पर शिकायत बंद की जा रही है। शिकायकर्ता की गई कार्रवाई से संतुष्ट है, अत: शिकायत को बंद कर दिया गया है। इस स्थिति के बाद शिकायकर्ता पुन: 30 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराता है जिसका क्रमांक 26962279 है। इसमें एल-1 अधिकारी 02 मई को अपडेट करता है कि शिकायत आपके द्वारा पूर्व में की गई थी उसी प्रकृति की शिकायत है, अत: दोनों शिकायतों को मिला दिया गया है और शिकायत की स्थिति जानने के लिए पूर्व में की गई शिकायत का उपयोग करें। 

- अब पूरे मामले में उठ रहे यह गंभीर सवाल..?
1 - क्या कारण है कि 4 फरवरी 2024 को की गई शिकायत में यह स्वीकार करने के बाद की सरपंच महेश रावत ने आवासीय पट्टा बेच दिया है, उस पर विधि अनुसार कार्रवाई करने की जगह शिकायत को निराधार और विलोपन योग्य बताया गया?
2 - 19 मार्च से लेकर 29 अप्रेल तक शिकायत को एल-1 से एल-2 और एल-3 तक ले जाने के बाद फिर बिना शिकायकर्ता से कोई संपर्क किए शिकायत को फर्जी तरीके से शिकायतकर्ता को कार्रवाई से संतुष्ट बताते हुए शिकायत को बंद कर दिया गया है?
3 - आश्चर्यजनक बात यह है कि शिकायतकर्ता द्वारा 29 अप्रेल को शिकायत बंद किए जाने का मैसेज आने पर 30 अप्रैल को पुन: शिकायत की गई तो एक तरफा तरीके से बंद की गई शिकायत में ही नई शिकायत को मिला दिया गया और उसमें अपडेट देखने को कह रहे?

- और इधर... ज्ञात हो कि शिकायतकर्ता ने ग्राम पंचायत गोराखार सरपंच महेश रावत की दो-दो समग्र आईडी और दो-दो राशन कार्ड को लेकर विगत 11 अक्टूबर 2022 को जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर बैतूल को इसकी जाँच हेतु आवेदन किया जिसमें एसडीएम ने नगर पालिका में और तहसीलदार ने भी किसी तरह की कोई जाँच अथवा कार्यवाही आज पर्यन्त नहीं की! यह भी बड़ा सवाल है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 04 मई 2024