(बैतूल) चुनाव आयोग को भी गोराखार सरपंच की आधी अधूरी और गुमराह करने वाली जानकारी दी..! , - शिकायत में सरपंच महेश रावत को बचाने के लिए तमाम तरह के गोलमाल किए जा रहे..?
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। ग्राम पंचायत गोराखार सरपंच के पास पता नहीं कौन सा जादू है कि जो मामले जांच में सिद्ध पाए गए उनमें भी कोई एक्शन ही नहीं हो रहा है! स्थानीय प्रशासन की बात तो छोडि़ए, इलेक्शन कमीशन तक को भी प्रमाणित मामलों में शिकायत पर गुमराह करने वाला और गोलमाल अधूरा जवाब देता है? चूंकि निर्वाचन आयोग को जो जवाब देता है, वह स्थानीय अधिकारियों और स्थानीय निर्वाचन द्वारा चुनाव आयोग को भेजा जाता है? विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान निर्वाचन आयोग को गोराखार सरपंच को लेकर एक ऑनलाईन शिकायत की जाती है? इस शिकायत के जवाब में जो निर्वाचन आयोग जवाब देता है, उसमें शिकायत के कुछ बिंदुओं को नजर अंदाज कर दिया जाता है तो कुछ बिंदुओं का जवाब अस्पष्ट तरीके से गोलमाल दिया जाता है! निर्वाचन आयोग को यह जवाब जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा भेजा गया? इसका मतलब है कि अज्ञात कारणों से सिस्टम गोराखार सरपंच से जुड़े हुए जांच में सिद्ध मामलों को दबाने की कोशिश कर रहा है और उन्हें बचाने की कोशिश कर रहा है? गोराखार सरपंच महेश रावत को लेकर 4 बिंदुओं पर शिकायत की गई थी। जिसमें पहला बिंदु यह था कि गोराखार सरपंच ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में दो अलग-अलग समग्र आईडी बनवाई है और दोनों समग्र आईडी में नाम उम्र आदि में हेरफेर किया गया है? यह मामला जिला पंचायत द्वारा कराई गई जांच में सिद्ध पाया गया कि गोराखार सरपंच दो तरह की समग्र आईडी बनाकर उपयोग कर रहे थे। दूसरा बिंदु यह था कि गोराखार सरपंच द्वारा दो तरह के राशन कार्ड बनवाए गए है? एक बैतूल नगरपालिका क्षेत्र का और दूसरा गोराखार पंचायत क्षेत्र का! यह मामला भी जनपद पंचायत बैतूल द्वारा की गई जांच में सिद्ध पाया गया। चुनाव आयोग को की गई शिकायत के दोनों बिंदुओं के बारे में कोई जवाब ही नहीं दिया गया? इलेक्शन कमीशन को की गई ऑनलाईन शिकायत में जो जवाब सामने आया। उसमें इन दोनों बिंदुओं का कोई उल्लेख नहीं है। वहीं शिकायत का तीसरा बिंदु यह था कि गोराखार सरपंच ने वोटर आईडी में नाम जुड़वाने के लिए जिस एड्रेस का उपयोग किया वह गरीब आदिवासी की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाया गया आवास है और गोराखार सरपंच पंचायत क्षेत्र में निवास नहीं करते है? इस बिंदु को लेकर बताया गया कि खसरा नंबर 280 में राजस्व रिकार्ड में पंचम, अन्छाराम, केजा आदि का नाम दर्ज है, लेकिन इस पर देवेन्द्र पिता शंकरदयाल का कब्जा है। यह जवाब यहां तक ठीक है, लेकिन गोराखार सरपंच द्वारा जिस गृह क्रमांक 24 के आधार पर वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाया गया, उसको लेकर जवाब ही नहीं दिया गया? जबकि यह चुनाव से जुड़ा हुआ मसला था! वहीं शिकायत का चौथा बिंदु यह था कि फुलकांता जौजे मनोहर के नाम पर आबादी खसरा नंबर 220, प्लॉट नंबर 72 को सरपंच द्वारा बेच दिया गया? इसका जवाब स्पष्ट न देते हुए यह लिखा गया कि शासकीय जमीन को नहीं बेचा गया, जबकि 7 फरवरी 2023 की जांच में पटवारी, आरआई ने लिखा कि उक्त जमीन बेची गई, लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई? जिस तरह से चारों बिंदुओं को लेकर आधा अधूरा गोलमाल और अस्पष्ट जवाब दिया गया, उसके लिए जिला निर्वाचन कार्यालय बैतूल सहित राजस्व विभाग बैतूल के अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 20 मई 2024