एक 4 वर्ष की मासूम के साथ जिस तरह की हैवानियत की गई और उसमें जो हैवान शामिल है, उसको भारतीय कानून के तहत तो शायद वैसी सजा न मिले जिसका खौफ पैदा हो और कोई दूसरा ऐसी हैवानियत करने की हिम्मत न जुटा सके? सरिया कानून के तहत ऐसे हैवानों को जैसी सजा दी जाती है वैसी दिया जाना चाहिए। जिससे कि दुनिया देखे कि एक मासूम बच्ची के साथ वीभत्स तरीके सेे बलात्कार करने की हिम्मत करने वाले का अंजाम क्या होता है।

कुछ वर्ष पहले ऐसे ही एक मासूम बच्ची को एक दरिंदा उठाकर ले गया था और उसके साथ दुराचार कर उसकी दुर्दान्त तरीके से हत्या कर दी थी। कई महीनों बाद वह दरिंदा पकड़ा, लेकिन उसका वैसा अंजाम नहीं हुआ, जिससे कि ऐसी सोच रखने वालों में खौफ पैदा हो? इस तरह के मामलों में सामान्य तौर पर उनके घर पर बुलडोजर चलाया जाता है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं लगता। इससे गंदी सोच और विकृत मानिसकता वालों में भय पैदा होता नजर नहीं आ रहा है। इस तरह के लोगों को सार्वजनिक रूप से ऐसी सजा दी जाना चाहिए जो सबको दिखाई दे और ख़ौफ़ पैदा हो । दिल्ली के निर्भया कांड के बाद कानून में बदलाव हुए, लेकिन दुराचार जैसे वीभत्स कांड कम नहीं हुए! आंधप्रदेश में तो इस तरह का कांड करने वाले दरिंदों को पुलिस ने एनकाउंटर तक कर दिया था। फिर क्या वजह है कि इस तरह की घटनाएं नहीं रूक रही? सबसे घिनौना यह है कि छोटी-छोटी मासूम बच्चियों को शिकार बनाया जा रहा है।

अब हालत यह है कि डरे हुए मां-बाप क्या अपनी छोटी-छोटी बच्चियों को कैसे कस्टडी देंगे? इस तरह के दरिंदों की वजह से बच्चों के प्रति स्नेह रखने वाले लोग भी संदेह के दायरे में आ जाएंगे और मां-बाप अपने बच्चों को किसी से मेलमिलाप करते हुए देखकर भी दहशत में आ जाएंगे। इसलिए जरूरी है कि इस तरह की गंदी और घिनौनी सोच को खत्म करने के लिए ऐसे कुकृत्य करने वाले लोगों को सरिया कानून जैसी व्यवस्थाओं में सजाएं दी जाए, तभी महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षा मिलेगी और न्याय मिलेगा।
✍️नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 23 मई 2024