बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। ग्राम पंचायत गोराखार का भ्रष्टाचार हर तरीके से सार्वजनिक हो रहा है और यह भ्रष्टाचार दस्तावेजों में प्रमाणित रूप से नजर आ रहा है? जिस तरह से दस्तावेजों में अनियमितता दिखाई दे रही है, उसे देखते हुए इन मामलों की एक जांच बनाकर जांच होनी चाहिए और एक समय सीमा तय कर जांच कराई जाना चाहिए? जनपद पंचायत बैतूल की इस पंचायत में हुए गड़बड़ घोटाले के मामले में अब तक कोई जांच न होना और कोई कार्रवाई न होना ही अपने आप में आश्चर्य है! ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान सरपंच महेश रावत के वर्तमान कार्यकाल के साथ-साथ पिछले सरपंच कार्यकाल की भी सूक्ष्म जांच किया जाना अतिआवश्यक है?  उनका कहना है कि इनके पूर्व कार्यकाल में मनरेगा सहित अन्य योजनाओं में हर स्तर पर गड़बडिय़ां की गई है , और भ्रष्टाचार किया गया है? यह सब दस्तावेजों से ही प्रमाणित है, इसको खोजने के लिए अलग किसी से प्रयास की जरूरत नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार यदि एक उच्च स्तरीय दल बनाकर दस्तावेजों का ही परीक्षण करा लिया जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा? उनका कहना है कि ग्राम पंचायत के नागरिकों से लेकर जिला पंचायत में बैठे आला अधिकारियों तक सर्वविदित है कि वर्तमान सरपंच महेश रावत के पिछले कार्यकाल में किस तरह से घपले घोटाले हुए है? इन घपले घोटालों में महेश रावत ही इसलिए जिम्मेदार है कि मस्टररोल और भुगतान देयक प्रमाणक जैसे दस्तावेजों में उन्होंने अपने हस्ताक्षर किए और सील-सिक्का लगाया है! चूंकि महेश रावत एक उच्च शिक्षित जनप्रतिनिधि है? इसलिए वे यह नहीं कह सकते है कि उन्होंने यह सब अज्ञानता में नहीं किया है? ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा में मस्टररोल में हाजरी तारीख के आधार पर ही भरी जाती है, लेकिन महेश रावत के कार्यकाल में मस्टररोल में हाजरी भरने में तारीखें लापता है! इससे स्पष्ट दिखता है कि फर्जी हाजरी भरकर राशि निकाली गई है? उनका कहना है कि मजदूरों के हस्ताक्षर, अंगूठे बताते है कि उन्हें भी शायद जानकारी नहीं होगी कि उनके अंगूठे क्यों लगवाए गए? क्योंकि हाजरी बिना तारीख के भरी गई है! इसी तरह सरपंच ने मस्टररोल क्रमांक 31025175 में अपने हस्ताक्षर 29 जून 2006 को किए है! जबकि यह मस्टररोल 12 जून 2006 को भरा गया? इससे भी सवाल उठता है कि समय अवधि में यह अंतर क्यों है? इसी तरह अन्य मस्टररोल में भी तारीखों को लेकर अंतर सवाल खड़े करता है? वहीं 31246976 नंबर के मस्टररोल में सरपंच ने 15 जुलाई 2008 को हस्ताक्षर किए है, लेकिन उनकी पदमुद्रा नदारद है! इस तरह की गड़बड़ी अपने आप में ही फर्जीवाड़ा है?

- केस स्टडी : 01... 
12 जून 2006 को यह ऑफलाईन मस्टररोल 31025175 मुंशी/फुलचंद के खेत तालाब निर्माण के लिए भरा गया। इसमें किसी दिनांक से किस दिनांक तक मजदूरों ने मनरेगा में काम किया! इसके लिए जरूरी है कि तारीख के अनुसार मजदूरों की हाजरी भरी जाए, लेकिन जहां मजदूरों की हाजरी भरी गई वहां तारीख ही नहीं है?

- केस स्टडी : 02...
15 जुलाई 2008 को सेवाराम/जुगन के कपिलधारा कूप निर्माण के लिए भरे गए इस मस्टररोल 31246976 / 31246977 में भी 4 मजदूरों की हाजरी भरी गई, लेकिन हाजरी में तारीख को दिखाया ही नहीं गया है! इससे पता ही नहीं लग रहा है कि किस तारीख से किस तारीख तक इन मजदूरों ने मनरेगा के तहत मजदूरी की है?

- केस स्टडी: 03...
13 जुलाई 2008 को संरडई से बघोली ग्रेवल मार्ग निर्माण में भरे गए इस मस्टररोल 31246978 में भी 17 मजदूरों की 6 दिन की हाजरी भरी गई, लेकिन यहां भी मस्टररोल में जहां मजदूरों की हाजरी भरी गई वहां ऊपर तारीख वाला कॉलम खाली छोड़ दिया गया, कुछ भी नहीं भरा गया! इससे स्पष्ट नहीं है कि मजदूरों ने कब मजदूरी की?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 02 जून 2024