बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। ग्राम पंचायत गोराखार में फर्जीवाड़ा कर सरकारी धन के गबन को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे है। आरटीआई से निकाले गए दस्तावेजों से स्पष्ट नजर आ रहा है कि वर्तमान सरपंच महेश रावत ने अपने 2005 से 2010 तक के सरपंच कार्यकाल में भी हर स्तर पर घपलेबाजी की है। संरडई से बघोली सडक़ निर्माण में हर्ष इंजीनियरिंग सर्विस के नाम पर जो 5 हजार रूपए का बिल भुगतान किया गया, उस पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे है और एक तरह से कहे तो यह बिल बोगस साबित हो रहा है। इस बिल पर सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर से भुगतान हुआ है। इस तरह के बिल पर भुगतान होना जनपद पंचायत के द्वारा ना रोका जाना भी सवालों को जन्म दे रहा है। पूरे मामले में एक बात तो स्पष्ट रूप से नजर आ रही है कि ग्रामीणों द्वारा सरपंच पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे है, वह दस्तावेजों से सिद्ध नजर आ रहा है। मसला सिर्फ इतना है कि जिन जिम्मेदारों को इस तरह की घपलेबाजी में एक्शन लेना चाहिए वे आंख बंद कर बैठे है। सरपंच गोराखार महेश रावत को लेकर यदि दोनों कार्यकाल की जांच होगी तो निश्चित रूप से अलग-अलग एफआईआर दर्ज होगी।

- प्रायवेट फर्म से मनरेगा में सेवाएं लेने का नियम नहीं...


मनरेगा में जो नियम है उसके अनुसार किसी प्रायवेट फर्म या ठेकेदार से सेवाएं लेने का कोई नियम ही नहीं है? इसके बावजूद गोराखार पंचायत में तात्कालिन सरपंच और सचिव ने सरंडई से बघोली ग्रेवल मार्ग निर्माण में कथित रूप से  हर्ष इंजीनियरिंग सर्विसेस सिवनी का बिल लगाया है?

- जिसके नाम से बिल उसका फर्म से संबंध ही नहीं है...


हर्ष इंजीनियरिंग सर्विसेस बीएल शुक्ला काम्पलेक्स बिहाइंड चित्रकुट टेम्पल सिवनी का 5 हजार का बिल लगाया गया है, उसमें जिस राजेन्द्र डहेरिया डीसीई के हस्ताक्षर है और मोबाईल नंबर है, उसका दावा है कि  किसी भी तरह से हर्ष इंजीनियरिंग उनका लेना-देना नहीं है?

- बिल इसलिए फर्जी नजर आ रहा है कि उसमें बिल नंबर, टिन नंबर नहीं...


हर्ष इंजीनियरिंग सर्विसेस का जो बिल सरंडई से बघोली मार्ग में उपयोग किया गया है, उसमें बिल नंबर ही दर्ज नहीं है? दूसरा उक्त बिल में नियम अनुसार टिन नंबर होना चाहिए? फर्म का पेन नंबर होना चाहिए,लेकिन वह भी नहीं है? वहीं सरपंच ने हस्ताक्षर किए थे उसमें तारीख नहीं डाली और सरपंच ने व्हाउचर नंबर 109 लिखकर 11 जुलाई 2008 को हस्ताक्षर किए?

- बिल इसलिए फर्जी दिख रहा कि वर्ककोड जनरेट होने के बाद सर्वे बताया...


हर्ष इंजीनियरिंग सर्विसेस का यह बिल इसलिए फर्जी दिख रहा है कि इस पर सरपंच ने 11 जुलाई 2008 को हस्ताक्षर किए है? वहीं बिल पर कोई तारीख नहीं डाली गई। इस तरह से यह माना जाएगा कि 11 जुलाई 2008 का बिल है, जबकि सरंडई से बघोली ग्रेवल मार्ग का वर्ककोड और मस्टर 1 मार्च 2008 को जनरेट हुआ है और सर्वे बाद में यह कैसे संभव है?

- इनका कहना...                       


हर्ष इंजीनियरिंग से मेरा कोई लेना देना नहीं है, मैं जीनस पावर महाराष्ट्र में काम करता हूँ । इस बिल से मेरा कोई सरोकार नहीं है।
राजेन्द्र डहेरिया
(जिनका नाम बिल में उल्लेखित है।)
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 03 जून 2024