(बैतूल) वर्षा की पहली बूँद जहाँ गिरे उसे वहीं धरती के पेट में उतारना जल प्रबन्धन है : मोहन नागर - विश्व पर्यावरण दिवस पर सोनाघाटी की पहाड़ी पर सैंकड़ों श्रमदानियों ने जल संरचनाएँ बनाकर मनाया विश्व पर्यावरण दिवस
बैतूल (हेडलाइन)/नवल वर्मा। 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर देश दुनियाँ में बड़े-बड़े सेमिनार हो रहे हैं, किन्तु बैतूल के गंगावतरण अभियान के कार्यकर्ताओं ने अनूठे ढंग से विश्व पर्यावरण दिवस मनाया । अभियान के कार्यकर्ताओं ने वर्षाजल को रोकने के लिए सोनाघाटी की पहाड़ी पर अपना पसीना बहाया ।
श्रमदानी प्रातः 6 बजे रैली के माध्यम से गैंची-फावड़ा लेकर पहाड़ी पर पहुँचे व दो घण्टा श्रमदान के माध्यम से खंतियाँ खोदकर वर्षाजल को पहाड़ पर रोकने का प्रबन्ध किया । उल्लेखनीय है कि सोनाघाटी पहाड़ी को हरा-भरा करने के लिये 2016-17 से सामुदायिक प्रयासों के द्वारा गंगावतरण अभियान के माध्यम से यहाँ अभी तक नो हजार से अधिक जल संरचनाएँ बनाई जा चुकी है तथा 32000 से अधिक वृक्ष लगाये जा चुके हैं । जिसके कारण सोनाघाटी क्षेत्र का न केवल तापमान कम हुआ है अपितु जल स्तर में भी भारी वृद्धि हुई है ।
5 जून विश्व पर्यावरण दिवस को विशेष अभियान के तहत श्रमदान का यह आयोजन किया गया था ।
श्रमदान के इस विशेष आयोजन में गंगावतरण अभियान के संयोजक मोहन नागर, भाऊराव देवरस सेवा न्यास के अध्यक्ष मोहन गुप्ता, जनजाति शिक्षा में प्रान्त प्रमुख रूप सिंह लोहाने, प्रेमदास भरोसे, नागोराव सिरसाम , बाजीराम यादव , संजू कवड़े, दिनेश यादव , मानिक कुमरे, वासुदेव ईवने, धनराज ईवने , रितेश परते , जगदीश यादव धर्मदास बड़ोदे, सोमलाल बारस्कर सुखलाल बारस्कर , श्रीमती वन्दना लिखितकर, श्रीमती सुशीला यादव, श्रीमती पुष्पा वटके ,सुश्री निकिता मण्डलोई ,सुश्री ज्योति सोलंकी
सहित विद्या भारती जनजाति शिक्षा के कार्यकर्ता, भारत भारती शिक्षा संस्थान के शिक्षकों के साथ आसपास ग्रामीण क्षेत्र व बैतूल नगर के श्रमदानियों ने सहभागिता की ।
श्रमदान के पश्चात उपस्थित श्रमदानियों को सम्बोधित करते हुए गंगावतरण अभियान के संयोजक जल प्रहरी मोहन नागर ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हेतु सबसे पहले पानी बचाना होगा । उसके लिए वर्षाजल का संरक्षण के उपाय करना होंगे । उन्होंने कहा कि वर्षा की पहली बूँद जहाँ गिरे उसे वहीं पर धरती के पेट में उतारना ही सबसे अच्छा जल प्रबन्धन है । श्री नागर ने कहा कि वर्षा का जल दस मीटर से अधिक नहीं बहना चाहिये । उसके पूर्व ही उसे किसी न किसी अवरोध के द्वारा रोकने का कार्य करना होगा । पहले यह कार्य पेड़ व अन्य वनस्पति करते थे । किन्तु पेड़ समाप्त हो जाने से पहाड़ों के पानी न केवल बहकर चला जाता है अपितु इससे पहाड़ों का क्षरण भी हो रहा है । इसीलिए गंगावतरण अभियान के माध्यम से पहाड़ों पर छोटी-छोटी जल संरचनाओं का निर्माण कर वहाँ पौधारोपण किया जा रहा है । श्री नागर ने कहा कि यह अभियान जिले के सैंकड़ों पहाड़ियों पर ग्रामवासियों के सहयोग से प्रारम्भ हो गया है जहाँ श्रमदान के माध्यम से अभी तक एक लाख से अधिक खंतियाँ बनाई जा चुकी है । इस अवसर पर भोपाल से आये भाऊराव देवरस सेवा न्यास के अध्यक्ष मोहन गुप्ता गंगावतरण अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि बैतूल के समाज ने पूरी दुनियाँ को सिखाया है कि सूखे और बंजर पहाड़ों को पुनः हरा-भरा किया जा सकता है । उन्होंने कहा कि पंचतत्व का संरक्षण ही पर्यावरण का संरक्षण है । इसके लिए सामुहिक प्रयासों की आवश्यकता है । सभी श्रमदानियों का आभार जिला प्रमुख नागोराव सिरसाम ने माना ।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 05 जून 2024